Delhi service बिल पर केंद्र को राहत मिलती दिख रही है। तेलगूदेसम संसद में भाजपा का साथ देने जा रही है। केजरीवाल के पक्ष में जहां सारा विपक्ष खड़ा होता दिख रहा है, ऐसे में केंद्र को चंद्रबाबू नायडू का साथ मिलने से उसका संख्या बल मजबूत होगा। नायडू के लोकसभा में तीन जबकि राज्यसभा में 1 सांसद है।

हालांकि पहले के दौर में नायडू बीजेपी के साथ ही रहे थे। लेकिन 2018 में वो भगवा दल से अलग हो गए। 2018 में उनकी ही पहल पर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। अब उनका स्टैंड फिर से बदल गया है। सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में वो मोदी सरकार के पक्ष में मतदान करने जा रहे हैं। नायडू के स्टैंड में बदलाव के बाद आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी और विपक्षी दोनों पार्टियां सरकार के पक्ष में खड़ी होती दिख रही हैं। सीएम जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में 22 और राज्यसभा में 9 सदस्य हैं।

नवीन पटनायक के साथ आने के बाद ही केंद्र को मिल गई थी राहत

केजरीवाल की केंद्र से लड़ाई में मोदी सरकार को राहत तभी मिल गई थी जब ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने केंद्र का समर्थन करने का फैसला किया था। नंबरों को देखे तो साफ है कि केंद्र सरकार Delhi service Ordinance को आराम से संसद से पास करवा लेगी। पटनायक की बीजू जनता दल के राज्यसभा में 9 सदस्य हैं।

राज्यसभा में आधे सदस्यों का समर्थन हासिल करने के लिए बीजेपी को 120 वोटों की जरूरत है। बीजेडी, वाआईएसआरपी, टीडीपी और बसपा के समर्थन के बाद बीजेपी का आंकड़ा 127 तक पहुंच रहा है। यानि उसे केजरीवाल को मात देने में कोई दिक्कत नहीं होगी। माना जा रहा है कि कुल 109 राज्यसभा सदस्य बिल के विरोध में और केजरीवाल के पक्ष में मतदान करेंगे।

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर करने के लिए केंद्र ने दिल्ली सर्विस आर्डिनेंस तैयार किया था। संसद में पेश होने के बाद ये दिल्ली सर्विस बिल बन गया है। इसके पास होने के बाद केजरीवाल सरकार का अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग में कोई दखल नहीं रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में ये अधिकार केजरीवाल सरकार को सौंप दिया था।