सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले 10 वर्ष से स्विस बैंक में छिपाए गए काले धन का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। इस मुद्दे को लेकर लोग सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव का पुराना बयान शेयर कर बोले उनको तो सब पता था। उनसे पूछ लीजिए। कई दूसरे लोगों ने भी सरकार के इस बयान पर तीखे कमेंट किए हैं।

पोनी जाट हरियाणे आला@Poni07Jat नाम के एक यूजर ने लिखा, “काले धन का पूरा लेखा लाला रामदेव के पास है उनसे सम्पर्क किया जाये बुलाओ बाबा जी को हवेली पर वो कागज लेकर आये जो उनके पास थे।” भोलेश पाठक @bholeshpathak नाम के एक यूजर ने लिखा, “भले ही में 10 लाख का सूट पहनता हूं तो क्या हुआ भाइयों बहनों मैंने भी आप सभी को 15 15 लाख की टोपी पहनाई है। बोलो पहनाई है कि नहीं।”

संजय त्रिवेदी@sanjaytrivedi33 नाम के यूजर ने लिखा, “भाई साहब बाबा रामदेव को पक्का पता होगा वोह उछल-उछल के बोलते थे मुझे सब पता है।” मोहम्मद शाहिद हुसैन@Mohamma94019375 नाम के यूजर ने लिखा, “स्विस बैंक जब मोदी जी आपको पता ही नहीं था? कि वहां भारत देश का काला धन किसने छिपाकर रखा है? फिर काला धन वापस लाने की बात क्यों?और है तो सारे वापस ले आएं जिसकी होगी वो खुद परेशान होगा?”

इससे पहले सोमवार को लोकसभा में विन्सेंट एच पाला के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि हाल के वर्षों में विदेशों में छिपाए गए काले धन को वापस लाने के लिए सरकार ने काफी प्रयास किए हैं, जिनमें काला धन एवं कर अधिरोपण कानून को प्रभावी करना, विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना आदि शामिल हैं।

चौधरी ने बताया कि इस साल 31 मई तक काला धन अधिनियम, 2015 की धारा 10(3)/10(4) के तहत 66 मामलों में निर्धारण आदेश जारी किए गए हैं जिसमें 8,216 करोड़ रुपए की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि एचएसबीसी मामलों में लगभग 8,465 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति को कर के अधीन लाया गया है और 1,294 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। आईसीआईजे (खोजी पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय संघ) मामलों में लगभग 11,010 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता चला है।

चौधरी ने कहा कि पनामा पेपर्स लीक मामलों में 20,078 करोड़ रुपए (लगभग) के अघोषित जमाधन का पता चला है। वहीं पेराडाइज पेपर्स लीक मामलों में लगभग 246 करोड़ रुपए के अघोषित जमाधन का पता चला है।