कोरोना संक्रमण काल के दस महीनों में केंद्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल और नेचुरल गैस पर टैक्स लगाकर खूब कमाई की। सरकार ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि तीनों मद में टैक्स से उसे 2,95,401 करोड़ रुपए की कमाई हुई। केंद्र को ये कमाई अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक यानी दस महीने के बीच हुई है। पिछले साल मार्च महीने के आखिर में कोविड-19 की वजह देश में लॉकडाउन लगाया गया। जिसे बाद में अलग-अलग समय में बढ़ाया जाता रहा।

मालूम हो कि मोदी सरकार के कार्यकाल के पहले साल में केंद्र को पेट्रोल, डीजल और गैस पर टैक्स से महज 74,158 करोड़ रुपए की कमाई हुई जो 2021 में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के साथ करीब तीन लाख करोड़ के पास पहुंच गई। यूपीए कार्यकाल के वित्त वर्ष 2013-14 में सरकार को इस मद में 53,090 करोड़ रुपए की कमाई हुई। ऐसे में 2014-15 से तुलना करें तो 2020-21 में सरकार की इस मद से कमाई में चार गुना तक बढ़ोतरी हुई है।

इन आंकड़ों को दूसरे शब्दों में समझें तो 2014-15 में केंद्र के कुल टैक्स कलेक्शन का पेट्रोल-डीजल-गैस का हिस्सा 5.4 फीसदी था जो 2020-21 में बढ़कर रिकॉर्ड 12.2 फीसदी पर पहुंच गया। आसान शब्दों में समझें तो अगर सरकार को अलग-अलग टैक्स से 100 रुपए कमाई होती थी उसमें 5.4 फीसदी पेट्रोल-डीजल-गैस का हिस्सा था जो अब बढ़कर 12 फीसदी के पार है।

इस संबंध में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्र सरकार ने मोदी सरकार के आने के पहले साल में 2014-15 के दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क से 29,279 करोड़ रुपए और डीजल पर उत्पाद शुल्क से 42,881 करोड़ रुपए कमाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीने के दौरान पेट्रोल और डीजल पर कर संग्रह बढ़कर 2.95 लाख करोड़ रुपए हो गया।

इधर पेट्रोल, डीजल पर ऊंची कर दरों को लेकर सदस्यों की चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की अगली बैठक में पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सुझाव पर चर्चा करने को लेकर उन्हें खुशी होगी। पेट्रोल, डीजल पर केद्र की ओर से उत्पाद शुल्क और राज्यों में वैट लगाया जाता है। ये दोनों इनकी कीमत में आधे से अधिक का योगदान रखते हैं।

उदाहरण के तौर पर दिल्ली में पेट्रोल के 91.17 रुपए प्रति लीटर के दाम में करों का हिस्सा 60 फीसदी तक है। इसमें उत्पाद शुल्क का योगदान 36 फीसदी तक है। वहीं दिल्ली में डीजल के 81.47 रुपए प्रति लीटर के दाम में 53 प्रतिशत हिस्सा करों का है। डीजल के खुदरा मूल्य में 39 फीसदी तक हिस्सा उत्पाद शुल्क का है।