चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का कहना है कि चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर सैन्य बलों को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना के साथ काम करने वाले कुछ आतंकी संगठन हरकत कर सकते हैं। जिससे कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है।
हालांकि रावत ने कहा कि अभी मुख्य तौर पर सारा ध्यान लद्दाख में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर है, जहां पिछले साल से ही दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर गतिरोध बना हुआ है। रावत ने कहा कि पिछले साल से बने हालात के चलते हम चीन के साथ लगी सीमा पर सतर्क हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा को लेकर लापरवाह हो जाएं।
सीडीएस ने कहा, ‘मेरा हमेशा से यही कहना रहा है कि कुछ आतंकी संगठन जो कि पाक सेना के साथ काम करते हैं, के ऊपर से पाक सेना का नियंत्रण खो सकता है। ऐसे में आंतकी अगर कोई हरकत करते हैं तो इससे जाहिर तौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ेगा। इसलिए हमें देश की पश्चिमी सीमा पर भी सतर्क रहने की जरूरत है।’
रावत ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम की बात है अगर पड़ोसी देश हथियारों और ड्रग्स की तस्करी ऐसे ही जारी रखता है तो फिर संघर्ष विराम का कोई मतलब नहीं रह जाता है। पड़ोसी देश के इन कामों से शांति प्रक्रिया बाधित होती है।
सीडीएस ने कहा कि अगर देश की तीनों सेनाएं एक साथ एकीकृत रूप से काम करती हैं तो इससे बड़ा बदलाव आएगा और आने वाली किसी भी चुनौती से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। रावत ने जम्मू-कश्मीर में शांति प्रक्रिया पर कहा कि निश्चित तौर पर वादी के लोग भी अमन और चैन चाहते हैं।
रावत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने कई सालों तक आतंक और घुसपैठ का सामना किया है। अब 370 हटने के बाद से अमन-चैन कायम हो रहा है। रावत ने कहा कि समय के साथ साथ स्थानीय लोग भी आतंक और हिंसा के प्रति सहानुभूति रखना छोड़ देंगे। जिन युवाओं को गुमराह किया गया है। उनको समझाने का काम किया जाएगा कि हिंसा और आतंक समस्या का समाधान नहीं हैं।