उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में किए गए स्टिंग आॅपरेशन के मामले में सीबीआइ ने पूछताछ के लिए समन जारी कर दिया है। रावत को नौ मई को सुबह दस बजे दिल्ली स्थित सीबीआइ के मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। रावत को सीबीआइ के समन जारी होने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में फिर हड़कंप मच गया है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ ने रावत से पूछताछ के लिए सवालों की एक भारी भरकम सूची भी तैयार कर ली है। उधर, स्टिंग करने वाले उमेश शर्मा से सीबीआइ पहले ही कई बार लंबी चौड़ी पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ ने स्टिंग आपरेशन करने वाले कैमरे और सीडी को भी अपने कब्जे में कर लिया है। राज्य सरकार की सिफारिश पर प्राथमिक जांच दर्ज की गई थी और केंद्र ने अधिसूचना जारी की थी। उत्तराखंड फिलहाल राष्ट्रपति शासन के तहत है।
सीबीआइ से समन जारी होने के बाद हरीश रावत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इतनी जल्दबाजी में सीबीआइ की जो कायर्वाही की जा रही है, उससे एजंसी की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। रावत ने कहा कि वे सीबीआइ को जांच में मदद करेंगे। रावत ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए कि वह सीबीआइ का इस्तेमाल विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट को प्रभावित करने के लिए कर रही है। सीबीआइ को अपनी निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नौ तारीख का दिन बदलना चाहिए। रावत ने सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में उत्तराखंड में राश्ट्रपति शासन लगाए जाने और कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता का मामला चल रहा है जिस पर जल्द ही फैसला आने वाला है।
उन्होंने संभावना जताई कि सुप्रीम कोर्ट नौ मई को उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की तारीख तय कर सकता है। ऐसे में सीबीआइ ने नौ मई को ही उन्हें पूछताछ के लिए दिल्ली क्यों बुलाया। इससे उन्हें सीबीआइ की नीयत पर संदेह को रहा है। रावत ने संकेत दिया कि वह सीबीआइ के समन को लेकर अदालत भी जा सकते हैं। रावत ने कहा कि स्टिंग सीडी की जांच को लेकर केंद्र सरकार ने जितनी जल्दी दिखाई आज तक उतनी जल्दी किसी अन्य मामले में केंद्र सरकार ने नहीं दिखाई है।
हरीश रावत ने केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक रात में ही सीडी की जांच चंडीगढ़ की लैब से करवा दी जाती है और तुरत-फुरत केंद्र सरकार कैबिनेट बैठक कर उत्तराखंड में राश्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी जाती है। और जल्दबाजी में एक चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है। जबकि उत्तराखंड राज्य की चुनी हुई सरकार को विधानसभा में विश्वास मत भी हासिल नहीं करने दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वह सीबीआइ के हर सवालों का जवाब देने को तैयार हैं।
दूसरी ओर रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने आरोप लगाया कि आइसीआइसीआइ बैंक के जरिए कांगे्रस और पीडीएफ के विधायकों को खरीदने के लिए मनी लांडिंग की जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि हमें सीबीआइ की जांच पर कतई भरोसा नहीं है। कांग्रेस सीडी स्टिंग मामले की न्यायिक जांच चाहती है।
वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने आरोप लगाया कि हरीश रावत विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में स्टिंग की सीडी को लेकर शुरूसे झूठ बोल रहे हैं। पहले उन्होंने कहा कि यह सीडी फर्जी है और उनका चेहरा और आवाज इसमें छेडछाड़ कर लगाई गई है। 30-35 दिन तक यही राग अलापते रहे वहीं सीबीआइ की जांच शुरूहोने के बाद रावत अब कह रहे हैं कि वह स्टिंग करने वाले पत्रकार से विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में मजाक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि देवभूमि का एक पूर्व मुख्यमंत्री ऐसे घटिया बयान दे रहा है।
सीबीआइ की जांच हरीश रावत को मुश्किल में डाल सकती है। आने वाले दिनों में रावत की राजनीतिक मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती हैं। भाजपा और केंद्र सरकार रावत की चारों तरफ से घेराबंदी करने में जुटी है।