पूर्व जजों और नौकरशाहों समेत 262 नागरिकों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उनसे सनातन धर्म को नष्ट करने वाली द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। पत्र लिखने वालों में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस रहे एसएन ढींगरा भी शामिल हैं।

पत्र में कहा गया है कि स्टालिन ने हेट स्पीच देने के बाद माफी मांगने से भी इनकार कर दिया। सारे लोग स्टालिन की टिप्पणियों से चिंतित हैं। ये टिप्पणियां भारत की एक बड़ी आबादी के खिलाफ हेट स्पीच जैसा है। ये भारत के संविधान की मूल भावना पर प्रहार करती है।

262 नागरिकों के मुताबिक उदयनिधि के खिलाफ कदम उठाने की जरूरत

262 नागरिकों के मुताबिक देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र की रक्षा करने के लिए ऐसी हरकतों के खिलाफ कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है। सरकार ने ऐसा करके अदालत के आदेश की अवमानना की है। चिट्ठी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर तमिलनाडु सरकार के खिलाफ सख्त एक्शन ले। हम आपसे तत्काल उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं।

पत्र में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि हमारी याचिका पर विचार किया जाएगा। हम न्याय व कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध करते हैं। ध्यान रहे कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक एवं कलाकार संघ की बैठक में सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू के बुखार से की थी। बैठक शनिवार को हुई थी।

उदयनिधि ने कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इन्हें नष्ट कर देना चाहिए। उसके बाद से उनके बयान को लेकर बवाल मचा हुआ है। लेकिन एमके स्टालिन के बेटे ने अपनी बात को लेकर माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया है। वो अपनी बात को गलत नहीं मानते।