बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और उनकी अभिनेत्री पत्नी रत्ना पाठक शाह ने कहा कि उनका वैलेंनटाइन भारत देश है। और, उन्हें देश में ‘खलबली’ (खासकर नागरिकता विवाद को लेकर पनपे उथल-पुथल) के समय में शिक्षित युवाओं से उम्मीद है। रविवार को ‘इंडिया माई वेलेनटाइन’ समारोह के दौरान अदाकार दंपति ने मुखर तरीके से अपनी बात रखी। और कहा कि उन्होंने 60 और 70 के दशक में जो खलबली देखी थी, वह वापस दिखाई दे रही है लेकिन युवा और शिक्षित लोग उन्हें उम्मीद देते हैं।
संगीत प्रस्तुतियों, स्टैंड-अप कॉमेडी और भाषणों वाले इस समारोह में उन्होंने कहा, ‘‘उस समय सब भारत की प्रगति के बारे में सोचते थे। अपने देश को कैसा बनाएं, यह किस तरह का राष्ट्र होना चाहिए। मेरा परिवार हमेशा से प्रस्तुति कलाओं से जुड़ा रहा, इसलिए हम इन विषयों पर चर्चा करते थे।’’ समारोह में इन दोनों के साथ ही विशाल भारद्वाज, रेखा भारद्वाज और स्वानंद किरकिरे समेत एक दर्जन से अधिक कलाकारों ने भाग लिया।
दिवंगत अभिनेत्री दीना पाठक की पुत्री रत्ना पाठक ने कहा कि राष्ट्र निर्माण से जुड़े सवाल दशकों से सभी के दिमाग में हैं। अब राष्ट्र के टूटने, बदलने की आशंका है। उन्होंने कहा, ‘‘आज वो ही खलबली देखी जा सकती है। जाहिर है कि चीजें बदल गई हैं, हालात बहुत गंभीर हैं। लेकिन आज मैंने जो सुना और देखा, मैं जो अपने आसपास देख रही हूं, उससे निश्चित रूप से उम्मीद बढ़ती है। भारत में इससे पहले कभी एक वक्त में इतने सारे युवा, शिक्षित लोग नहीं थे। इससे चीजें बदल रही हैं और पूरे देश में हम यह देख रहे हैं।’’
रत्ना पाठक ने देश में अनेक जगहों पर हो रहे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि खलबली की यह स्थिति केवल शाहीन बाग या मुंबई बाग तक नहीं है बल्कि हर तरफ फैली है। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार फिर कला रास्ता दिखा रही है। इस तरह की खलबली ऐसे सुंदर लेखन, संगीत और प्रस्तुतियों को जन्म दे रही है।’’
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि वज जब देश की स्थिति पर नजर डालते हैं तो बदलावों को लेकर सभी की तरह उनके मन में भी सवाल आते हैं लेकिन उनके पास इनका जवाब नहीं है। आगे अभिनेता ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की ‘भारत एक खोज’ के कुछ हिस्से पढ़े और कहा कि यह किताब जरूरी सवालों पर कुछ रोशनी डाल सकती है।