CAA NRC NPR Protest rally: बिहार विधानसभा द्वारा राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) को नहीं लागू करने और 2010 के फॉर्मेट में में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने के प्रस्तावों के बाद, सीपीआई नेता और जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने गुरुवार (27 फरवरी) पटना के गांधी मैदान में रैली की। उन्होंने रैली में मांग किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनपीआर पर राजपत्र अधिसूचना वापस लें। गांधीजी के पड़पोते तुषार गांधी और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटेकर संग कन्हैया ने पटना में हुंकार भरते हुए कहा कि हमें एनपीआर नहीं, रोजगार चाहिए।
कन्हैया ने 30 जनवरी से ‘एनपीआर- सीएए- एनआरसी के खिलाफ संयुक्त फोरम’ के बैनर तले एक राज्यव्यापी दौरे की शुरुआत की थी और सभी जिलों में जनसभाएं की थीं। 27 फरवरी को उनके दौरे का समापन पटना में एक रैली में हुआ। यहां कांग्रेस विधायक अवधेश सिंह और शकील अहमद खान, महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन सहित कई लोगों ने कन्हैया के साथ मंच साझा किया।
अपने संबोधन में कन्हैया ने बेरोजगारी और किसानों की चिंताजनक हालत को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “हमें चाहिए रोजगार, नहीं चाहिए एनपीआर।” कन्हैया ने कहा, “सीएए जब कानून बन गया है तो सीएए के समर्थन में रैली की क्या आवश्यकता है? वे ध्रुवीकरण कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में मारे गए ज्यादातर लोग बिहार और यूपी के प्रवासी मजदूर थे? उनके धर्म को न देखें, वे अपने राज्यों के बाहर अपनी आजीविका के लिए एक ही काम कर रहे थे।”
एनपीआर को पुराने प्रारूप में करने के लिए बिहार विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाने को लेकर कन्हैया ने नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया। हालांकि साथ में यह भी मांग की कि राज्य सरकार को इस संबंध में राजपत्र अधिसूचना भी वापस लेनी चाहिए।
कन्हैया ने कहा, “मैं यह स्पष्ट कर दूं कि यह रैली किसी नेता के लिए नहीं है। मैं किसी विशेष समुदाय के समर्थन में नहीं हूं क्योंकि एनपीआर-एनआरसी-सीएए सभी धर्मों के गरीबों को नुकसान पहुंचाएगा। यह कमरानों को उतना ही नुकसान पहुंचाएगा जितना कि कन्हैयाओं को।”