CAA NRC Protest: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू नगरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों को बाहर रखने के खिलाफ पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। अब सिख सिख सदस्यों की बहुलता वाली पार्टी भी सरकार के खिलाफ हो गई है। ईसाइयों ने भी आवाज बुलंद की है। अकाली दल के मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, “भाजपा के साथ बैठक के दौरान हमें सीएए पर अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया था लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया। शिरोमणि अकाली दल इस बात पर अडिग है कि मुसलमानों को सीएए से बाहर नहीं रखा जा सकता है।”
वहीं दूसरी ओर ईसाइ समुदाय के एक समूह ने बंगाल के राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है, “कुछ समूह धार्मिक अल्पसंख्यकों को खत्म करने और हमारे लोकतांत्रिक, संप्रभु और धर्मनिरपेक्ष भारत को एक तथाकथित ‘हिंदू राज्य’ में बदलने के लिए ‘खुला आह्वान’ कर रहे हैं। अल्पसंख्यक इस तरह के दमनकारी आह्वान से असुरक्षित महसूस करते हैं।” सोमवार को कोलकाता के संत पॉल कैथेड्रल में हजारों की संख्या में लोगों ने मार्च निकाल सीएए का विरोध जताया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख से एक दिन पहले शिरोमणि अकाली दल ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सहयोगी भाजपा द्वारा उसका रुख बदलने के लिए कहे जाने की वजह से वह अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में नहीं उतरेगी। दिल्ली में कालकाजी, तिलक नगर, हरि नगर और राजौरी गार्डन जैसी कई सिख बहुल सीटें हैं जहां अकाली दल का प्रभाव है।
अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा के साथ चुनाव से संबंधित तीन बैठकों में उनकी पार्टी से सीएए पर उसके रुख पर विचार करने को कहा गया। सिरसा ने कहा, ‘‘हम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के भी पुरजोर खिलाफ हैं।’’ इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि चुनाव नहीं लड़ने का रुख अकाली दल का है।
तिवारी ने कहा, ‘‘अकाली दल हमारे सबसे पुराने सहयोगी दलों में से है। उसने नागरिकता कानून पर संसद में हमें समर्थन दिया है। अगर वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो यह उनका रुख है।’’ सिरसा ने इस अटकल को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि भाजपा ने उनके सीट बंटवारे के फॉर्मूले को स्वीकार नहीं किया। बता दें कि अकाली नेता सिरसा ने राजौरी गार्डन विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर 2017 का उपचुनाव लड़ा था और वह जीते थे। (भाषा इनपुट के साथ)