सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई करेगा। CAA को लागू न करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में करीब 200 याचिकाएं दायर की गई हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच CAA पर सुनवाई करेगी।
11 मार्च को CAA को अधिसूचित किया था। इस कानून के तहत 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाइयों और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलेगी। यह कानून उन लोगों के लिए लागू होगा जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हैं।
CAA विधेयक 2019 दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया था। 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा जबकि राज्यसभा में 11 दिसंबर 2019 को इसे पारित किया गया था। हालांकि अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता पर संशोधन कुछ क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे। इनमें असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र शामिल हैं।
मुस्लिम लीग भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है
CAA के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में सीएए कानून के खिलाफ मुस्लिम लीग ने भी याचिका दायर की है और इस पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि कुछ धर्म के लोगों को ही नागरिकता देना संविधान के खिलाफ है। इससे पहले भी मुस्लिम लीग ने CAA को चुनौती देते हुए रिट पिटीशन दायर की थी। अपनी याचिका में मुस्लिम लीग ने CAA के खिलाफ अंतरिम आवेदन दिया है। मुस्लिम लीग का तर्क है कि किसी कानून की संवैधानिकता तब तक लागू नहीं होगी, जब तक कानून स्पष्ट तौर पर मनमाना न हो।
गृह मंत्रालय ने शुरू की वेबसाइट
गृह मंत्रालय (MHA) ने वेब पोर्टल (https:// Indiancitizenshiponline.nic.in) शुरू किया है। इस पर धार्मिक आधार पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित लोग भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के लोग आवेदन कर सकते हैं।
CAA को लेकर बीजेपी का कहना है कि ये देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। इसका एकमात्र उद्देश्य पड़ोसी देशों में पीड़ित हिंदू, पारसी, सिख, बौद्ध और जैन लोगों की मदद करना है कि वे भारत आएं और उन्हें सुविधाएं दी जाएं।