कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के नेता नुरूल हसन चौधरी के बर्दवान जिलेके खागरागढ़ इलाके में स्थित घर में हुए विस्फोट और इसमें इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के संदिग्ध आतंकियों की मौत के बाद अब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उंगलियां उठने लगी हैं। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या इन आतंकियों का हरकत उल जिहाद और लश्कर ए तैयबा से भी कोई संबंध है। विस्फोट के साथ ही ममता और उनकी पार्टी शक के घेरे में आ गई है। ममता अभी भी इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) को सौंपने से इनकार कर रही हैं जबकि केंद्रीय एजंसियों की शुरुआती जांच इस तरफ इशारा कर रही है कि तृणमूल नेता नुरूल हसन चौधरी के ताल्लुक चरमपंथी समूह से हैं।

बर्दवान शहर के बीचोंबीच स्थित चौधरी के घर का इस्तेमाल पार्टी अपनेक्षेत्रीय मुख्यालय के तौर पर करती थी। घटनास्थल से बरामद चीजों की सूची काफी लंबी है। इस घर से 55 आइईडी, 40 डेटोनेटर, भारी मात्रा में विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन, घड़ियां, मोबाइल फोन व जेहादी प्रचार सामग्री बरामद हुई है। पार्टी के लिए अब इस बात का जवाब देना मुश्किल हो रहा है कि क्या उसके क्षेत्रीय मुख्यालय का इस्तेमाल बम बनाने की फैक्टरी के तौर पर किया जा रहा था।

इस बीच, राज्य सरकार ने सोमवार को पूरे राज्य में हाईअलर्ट घोषित कर दिया और पड़ोंसी देशों और राज्यों के साथ अपनी सीमाएं सील कर दीं। पुलिस महानिदेशक जीएमपी रेड्डी ने कहा कि सीआइडी की विशेष आइजी दमयंती सेन के साथ उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया। पूर्वी रेलवे के कई स्टेशनों पर सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है।

दूसरी ओर, राज्य के गृह सचिव बासुदेव बनर्जी ने विस्फोट स्थल से आरडीएक्स मिलने की खबर से इनकार किया है। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि स्थानीय पुलिस केंद्रीय एजंसियों के साथ सहयोग नहीं कर रही है। गृह सचिव के मुताबिक इस घटना की जांच के लिए एक टास्क फोर्स तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना हो सकती है कि आतंकवादी और उनका संगठन बांग्लादेश से अपने काम को अंजाम दे रहे हों, लेकिन केंद्रीय जांच एजंसियों के साथ असहयोग की खबरें पूरी तरह गलत हैं।

गृह सचिव ने रविवार को भी कहा था कि हम इस आरोप का खंडन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य के वरिष्ठ अधिकारी एक-दूसरे के संपर्क में हैं। यह एक गंभीर मामला है। बनर्जी ने यह भी कहा था कि मीडिया के कुछ हिस्सों में यह खबर आई थी कि विस्फोट स्थल से अल कायदा से जुड़े पोस्टर बरामद किए गए हैं। लेकिन ऐसा कोई पोस्टर नहीं बरामद हुआ है।

इस बीच, केंद्रीय एजंसियों का कहना है कि बंगाल पुलिस आतंक के इस गंभीर मसले पर भी परदा डालने में लगी है। पुलिस ने धमाके के बाद मकान से बरामद ग्रेनेड आदि नष्ट कर दिए थे, जबकि इसे जांच के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए था। इतना ही नहीं मामले की सूचना भी केंद्रीय एजंसियों को एक दिन बाद दी गई। उनका कहना है कि पुलिस ने पहले इसे एलपीजी सिलेंडर फटने की घटना बताने की कोशिश की जबकि जांच में बम धमाके की बात सामने आई। इसके बाद पुलिस ने जांच एजंसियों के आने से पहले ही ग्रेनेड व विस्फोटक सामग्री दामोदर नदी के किनारे नष्ट कर दी। जांच में पता चला कि सभी आइईडी पूरी तरह तैयार थे और जल्द ही इनका इस्तेमाल होने वाला था।

भाजपा ने भी बर्दवान विस्फोट पर राज्य की एजंसियों द्वारा परदा डालने की आशंका जताते हुए सोमवार को कहा कि इस घटना की एनआइए से जांच कराई जानी चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व पार्टी के बंगाल प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा- तृणमूल कांग्रेस की सरकार बर्दवान विस्फोट की जांच एनआइए को क्यों नहीं सौंप रही है? जांच में हो रही देरी से इस घटना पर परदा डालने को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने घटना की जांच एनआइए से कराने की मांग करते हुए कहा कि राज्य की एजंसियों को जांच से दूर ही रखना चाहिए।

सिंह ने कहा कि बर्दवान के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के साथ संपर्क जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने इस अधिकारी का तबादला कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वादा किया था कि चुनाव के बाद दोबारा उनसे पद पर बहाल कर दिया जाएगा। चुनाव बाद ऐसा कर बी दिया गया। सिंह ने सवाल किया- क्या तृणमूल कांग्रेस ने अपने प्रिय पुलिस अधिकारी का इस्तेमाल विस्फोट की घटना से जुड़े सबूत नष्ट करने व इसमें तृणमूल के कुछ स्थानीय नेताओं की भूमिका पर परदा डालने के लिए किया है?

भाजपा सचिव सिद्धार्थनाथ सिंह ने साथ ही दावा किया कथित रूप से बांग्लादेश के एक आतंकवादी समूह को धन देने के लिए तृणमूल कांग्रेस के एक राज्यसभा सांसद जांच के घेरे में हैं और इसके साथ ही बर्दवान विस्फोट को देखते हुए मामले में ममता बनर्जी सरकार के रुख पर सवाल उठते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया में आई खबरों के अनुसार चार आतंकी समूह हैं जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है। इनमें बांग्लादेश के जमात ए इस्लामी के अलावा सिमी, अलकायदा और अल जिहाद शामिल हैं। इन आतंकी समूहों के साथ तृणमूल कांग्रेस का संबंध स्थापित किया जा रहा है।

वहीं, तृणमूल ने पलटवार करते हुए भाजपा पर मामले के राजनीतिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी हर राज्य में सांप्रदायिक तनाव की आग भड़का रही है। पार्टी प्रवक्ता डेरेक ओ’ ब्रायन ने नई दिल्ली में कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा में भारत के लिए नया प्रेम उमड़ रहा है। देशभक्ति को लेकर हमें भाजपा से सीख नहीं चाहिए।