केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से संसद के बजट सत्र को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करने की अपील की है। साथ ही यह भी कहा कि जनता से जुड़े मुद्दों समेत सुधार एवं सभी कल्याणकारी विषयों पर व्यवधान पैदा करने की बजाय विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभा कर देश के विकास में हिस्सेदार बनना चाहिए। अलग-अलग सिद्धांतों और विचारधाराओं के बावजूद राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों पर अधिकांश समय राजनीतिक दल एकजुट रहते हैं और यही भारत के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों की ताकत है।

नकवी को पूरी उम्मीद है कि 23 फरवरी से शुरू होने वाला संसद सत्र रचनात्मक साबित होगा और कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष जनहित से जुड़े विधेयक पारित करने में सरकार का सहयोग करेगा। वाद-विवाद और चर्चा किसी भी संसदीय प्रजातंत्र का अभिन्न अंग हैं और डिसेंट (मतभेद), डिसरप्शन (व्यवधान) और डिस्टर्बेंस (अवरोध) को कभी भी डिबेट (चर्चा), डिस्कशन (बहस) और डिसीजन (निर्णय) पर हावी नहीं होने देना चाहिए। संसदीय एवं अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री ने कहा कि भारत विश्व का सबसे मजबूत और विविधतापूर्ण प्रजातंत्र है। संसद प्रजातंत्र का सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ-साथ जन-आकांक्षाओं को पूरा करने, जनता के हितों से जुड़े मुद्दों को उठाने और उनका समाधान करने की सबसे असरदार संवैधानिक संस्था है।

उन्होंने कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों से अपील की कि देश की तरक्की से जुड़े विधेयकों को पास करने में केंद्र सरकार का सहयोग करके रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएं। संसद का हरेक सदस्य लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। हर सांसद के साथ इन लाखों लोगों की उम्मीदें, आकांक्षाएं जुड़ी होती हैं। इसलिए इन जन-आकांक्षाओं को पूरा करना हम सांसदों और चुने हुए प्रतिनिधियों का संवैधानिक धर्म है। पिछले कुछ सत्रों के दौरान सदन में गतिरोध एवं व्यवधान पर चिंता जताते हुए नकवी ने कहा कि संसद और विशेष रूप से राज्यसभा में

बेवजह के हंगामे के कारण जनता के हितों और देश की सामाजिक -आर्थिक तरक्की से जुड़े कई अहम सुधार विधेयक पारित नहीं हो पा रहे हैं। इनमें रियल एस्टेट (विनियमन और विकास संशोधन) विधेयक और वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) जैसे विधेयक शामिल हैं। इस बीच विपक्षी दलों ने सोमवार को आवश्यक विधेयकों को पारित करने के मामले में सशर्त समर्थन देने की पेशकश की। यह पेशकश राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी द्वारा अगले बजट सत्र में सुचारू ढंग से कामकाज सुनिश्चित करने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में की गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने संक्षिप्त हस्तक्षेप करते हुए उम्मीद जताई कि 23 फरवरी से शुरू होने वाला और तीन माह तक चलने वाला सत्र बहुत सकारात्मक एवं रचनात्मक होगा।

आंकड़ों के अनुसार 21 जुलाई से 13 अगस्त 2015 तक चले मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा के 73 घंटे 7 मिनट से ज्यादा का समय हंगामे की भेंट चढ़ गया। मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा की उत्पादकता सिर्फ नौ फीसद थी। संसद में जो काम हुआ भी उसमे अधिकांश अल्पकालिक चर्चा, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, शून्यकाल, गैर सरकारी कामकाज के माध्यम से हुए। लोकसभा का 34 घंटें 32 मिनट से ज्यादा का समय बर्बाद हुआ।

नवंबर 26 से 23 दिसंबर तक शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा के 56 घंटे और 39 मिनट हंगामे की भेंट चढ़ गए। वहीं लोकसभा के 8 घंटे 37 मिनट बर्बाद हुए। संसद में हंगामे के कारण संचालन पर करदाताओं के पैसे व्यर्थ जाने के बारे में पूछे जाने पर नकवी ने कहा कि दोनों सदनों के बहुमूल्य समय का उपयोग जनता के हितों, किसानों, गरीबों, युवाओं, दलितों, कमजोर तबकों और अल्पसंख्यकों के सरोकार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने और देश की आर्थिक तरक्की से जुड़े विधेयकों को पारित किए जाने के लिए किया जा सकता था।