कर्नाटक बीजेपी में जारी विवाद के बीच मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। 2 साल पहले आज ही के दिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। बीजेपी के अंदर भी उनकी मजबूत पकड़ रही है।
हाल के दिनों में बीएस येदियुरप्पा की कार्यप्रणाली को लेकर कई विधायक नाराज चल रहे थे। जिसके बाद कई राजनीतिक घटनाक्रम के बाद उन्होंने अपने पद से सोमवार को त्यागपत्र दे दिया। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी लगभग 17 प्रतिशत मानी जाती है। 35-40 विधानसभा क्षेत्रों पर बीएस येदियुरप्पा की मजबूत पकड़ रही है। रविवार को विभिन्न लिंगायत मठों के संतों ने बेंगलुरु में सम्मेलन कर उन्हें अपना समर्थन भी दिया है।
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साल 2012 में कर चुके हैं विद्रोह: येदियुरप्पा को मजबूत जनाधार पर हमेशा भरोसा रहा है। साल 2011 में जब उन्हें बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो 2012 में उन्होंने बीजेपी छोड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने कर्नाटक जनता पक्ष नाम से एक अलग पार्टी का निर्माण किया था। साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें एक बार फिर बीजेपी में वापस लाया गया।
दक्षिण भारत में बीजेपी के पहले सीएम बने थे येदियुरप्पा: साल 2007 में बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक में पहली बार बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री बनाए गए। कर्नाटक दक्षिण भारत का पहला राज्य बना जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इससे पहले बीजेपी की पकड़ उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में ही देखी जाती रही थी। हालांकि उनके पहले कार्यकाल के दौरान ही उनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगे।
सोमवार को त्यागपत्र देते हुए येदियुरप्पा ने भावुक होते हुए एवं रुंधे गले से कहा कि 75 साल से अधिक आयु होने के बावजूद उन्हें दो साल मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को धन्यवाद देता हूं।