कोरोनारोधी टीका जानलेवा संक्रमण से बचाने में काफी हद तक सहायक है। यह बात हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआइ) डॉ केके अग्रवाल रिसर्च फंड के अध्ययन में सामने आई है।

अध्ययन के मुताबिक, कोरोना संक्रमण में ‘ब्रेकथ्रू रीइंफेक्शन’ यानी संपूर्ण टीकाकरण हो जाने के बाद दोबारा संक्रमित होने का पहला सिद्ध मामला दर्ज किया। एक 61 वर्षीय डॉक्टर को अलग-अलग चरणों में कोरोना के अल्फा और डेल्टा दोनों रूपों का संक्रमण हुआ। दूसरा और तीसरा संक्रमण तब हुआ जब महिला डॉक्टर ने दोनों टीके लगवा लिए थे और प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली थी। महिला डॉक्टर साकेत के मैक्स अस्पताल में भर्ती थीं और अब वे ठीक हो कर अपने घर लौट आई हैं।

अध्ययन के मुताबिक, डॉक्टर पहली बार अगस्त 2020 में संक्रमित हुई थीं। संस्था ने पूरी तरह से टीकाकरण होने के बाद स्वास्थ्य कार्यकर्ता में अल्फा संक्रमण से उबरने के बाद दोबारा डेल्टा स्वरूप के साथ गंभीर संक्रमण होने का दस्तावेजीकरण किया है। वर्तमान में यह मामला दिल्ली की एक 61 वर्षीय डॉक्टर का है, जिनमें डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण से हाइपोक्सिया के साथ सात सप्ताह तक चलने वाली बीमारी हुई।

संपूर्ण टीकाकरण के बाद दोबारा संक्रमण हो जाने को ‘ब्रेकथ्रू रीइंफेक्शन’ शब्द विशेष रूप से दिया गया है। कस्तूरबा हॉस्पिटल मुंबई फॉर इंफेक्शियस डिजीज और स्टडी के मुख्य शोधकर्ता डॉ जयंथी एस शास्त्री ने कहा कि दोबारा संक्रमित (रीइंफेक्शन) होने वाले रोगियों के लिए सीडीसी और आइसीएमआर के तरफ से कुछ मानदंड निर्धारित किए गए हैं। वे बताते हैं कि दो अलग-अलग मौकों पर संक्रमण होना चाहिए, जो सीडीसी के अनुसार 45 से 90 दिन और आइसीएमआर के अनुसार 102 दिन हैं।

आइसीएमआर द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान में रीइंफेक्शन की संभावना 4.5 फीसद है। वर्तमान में रीइंफेक्शन पर कोई निश्चित डाटा नहीं है क्योंकि संपूर्ण-जीनोम सीक्वेंसिंग सुलभ नहीं है। अध्ययन के अनुसार, संक्रमण और टीकाकरण के बाद की इम्युनिटी दोनों ही कोरोना से सुरक्षा देती हैं।