आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टैस्ट में आठ विकेट की करारी हार ने भारतीय टीम के विदेशी पिच पर दिग्गज टीमों के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। 2018 में कंगारुओं के खिलाफ मिली जीत पर इतराती भारतीय पारी महज दो साल बाद 36 रन के स्कोर पर ढेर हो गई। उसके इस प्रदर्शन ने भारतीय बल्लेबाजों की तकीनीकी दक्षता की कलई खोल कर रख दी। हालात ये बने कि विराट कोहली के रणबांकुड़ों ने अब तक भारत के टैस्ट में बनाए सबसे कम रनों के रेकार्ड को भी तोड़ दिया।

टीम के इस खेल से जहां क्रिकेट पंडित अचंभित थे तो कप्तान कोहली ने भी कहा कि यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि वे कुछ समझ ही नहीं पाए। हालांकि आंकड़ों के मुताबिक विराट कुछ समझ कर भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाने की स्थिति में होते। बीते 10 साल में भारतीय टीम का विदेशी जमीन पर दिग्गज टीमों के खिलाफ प्रदर्शन कुछ अच्छा नहीं रहा है।

विदेशी जमीन और दिग्गज मेजबान मतलब भारतीय टीम पस्त
भारतीय टीम ने 10 साल में बड़े क्रिकेट खेलने वाले देशों के खिलाफ प्रभावी प्रदर्शन कम ही किए हैं। बात दक्षिण अफ्रीका की हो या इंग्लैंड या फिर आस्ट्रेलिया की, भारतीय खिलाड़ियों के लिए संकट हमेशा बना रहा है। कभी बल्लेबाजी फेल हो जाती है तो कभी गेंदबाज घुटने टेक देते हैं। यहीं कारण है कि न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए 37 मैचों में सिर्फ पांच मैच ही भारत की झोली में आए। यह भारत जैसे दिग्गज टीम के लिए चिंता का विषय है। हालांकि विराट कोहली की कप्तानी में टीम ने काफी प्रगति की है लेकिन अब भी यह नहीं कहा जा सकता कि हालात सामान्य हैं।

इसी साल फरवरी माह में भारतीय टीम न्यूजीलैंड के दौरे पर गई थी। हालात यह रहे कि मेजबान ने दो टैस्ट मैचों की शृंखला में क्लीन स्वीप किया। वहीं 2018 के अगस्त महीने में इंग्लैंड दौरे पर गई भारतीय टीम को पांच मैचों की टैस्ट सीरीज में 4-1 की शिकस्त झेलनी पड़ी थी। भारत ने पहला मैच 31 रन से गंवाया था। 2018 के ही फरवरी महीने में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई भारतीय टीम को तीन मैचों की टैस्ट शृंखला में 2-1 से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं एक और रेकार्ड है जो भारतीय टीम को विदेशी सरजमीं पर तंग करती रही है।

भारत जिस भी टैस्ट सीरीज का पहला मैच गंवाता है, उसमें उसके हारने की संभावना प्रबल हो जाती है। बीते 34 टैस्ट शृंखला में पहला मैच गंवाकर भारतीय टीम ने 31 सीरीज गंवाई है। इससे में तीन बार यानी 1980 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ, 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ और 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टीम ने टैस्ट शृंखला 1-1 से ड्रॉ कराई है।

बॉक्सिंग डे टैस्ट पर सुधारनी होगी गलती
आस्ट्रेलिया के खिलाफ 26 दिसंबर से शुरू हो रहे बॉक्सिंग डे टैस्ट भारत और शृंखला के लिहाज से काफी अहम है। इस मैच में हार और जीत शृंखला की दिशा तय करेगी। ऐसे में पहले मैच में की गई गलतियों से भारतीय खिलाड़ियों को सबक लेने की जरूरत है। गुलाबी गेंद से खेले गए टैस्ट इतिहास में ऐसा महज पांचवीं बार हुआ जब तीन दिन में ही मैच का परिणाम निकल आया। टीम इंडिया ने पहले मैच की पहली पारी में 244 रन बनाए। आस्ट्रेलियाई टीम 191 रन पर आलआउट हो गई। भारत के पास 53 रनों की बढ़त थी।

ऐसे में भारतीय बल्लेबाजों ने टीम की नइया डुबो दी। वे विकेट के सामने टिक ही नहीं पाए। रन बनाना तो दूर वे गेंद का सामना करने को भी तैयार नहीं दिखे। पिच पर पैर जमाकर अगर भारतीय बल्लेबाज स्कोर बोर्ड पर 250 से कुछ अधिक रन भी टांग देते तो आस्ट्रेलिया के लिए लक्ष्य को हासिल करना हिमालय की चढ़ाई जितना मुश्किल हो जाता।

बॉक्सिंग डे टैस्ट में भारतीय बल्लेबाजों को अपनी गलती सुधारनी होगी। उन्हें टी-20 के खुमार से बाहर निकल इस सच्चाई को अपनाना होगी कि टैस्ट बल्लेबाजों के हर हुनर की तमील चाहता है। आस्ट्रेलियाई पिच पर तेज गेंदबाजों का हमेशा से दबदबा रहा है। ऐसे में बल्लेबाजों को शॉर्ट गेंद खेलने के लिए काफी अभ्यास की जरूरत है। वहीं गुलाबी गेंद की फितरत के मुताबिक उन्हें ज्यादा सतर्क हो कर खेलना होगा।

आंकड़ों को देखें तो गुलाबी गेंद ने तेज गेंदबाजों का खूब साथ निभाया है। इस गेंद से खेले गए 15 दिन-रात मैचों में कुल 469 विकेट निकाले गए हैं। इनमें से 359 तेज गेंदबाजों और 115 स्पिन गेंजबजों ने निकाले हैं। इसका मतलब है कि औसतन हर 24वीं गेंद पर एक तेज गेंदबाज विकेट लेता है वहीं स्पिनर को इसके लिए 35 गेंद फेंकने होते हैं।

विश्लेषण: कोहली और शमी की गैरमौजूदगी घातक
विराट कोहली बॉक्सिंग डे टैस्ट से पहले भारत लौट जाएंगे। वहीं इस बार भारतीय टीम के साथ अनुभवी तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा भी नहीं हैं। ऐसे में भारत के लिए आस्ट्ेलियाई टीम का सामना करना काफी मुश्किल होगा। आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। 10 साल में दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ कोहली ने 32 टैस्ट मैच खेले हैं। इस दौरान उन्होंने 11 शतक और 10 अर्धशतक के सहारे 2889 रन बनाए हैं। वहीं चेतेश्वर पुजारा के नाम 27 मैचों में 1807 रन और अजिंक्य रहाणे के खाते में 26 मैचों में 1733 रन आए हैं। वहीं ईशांत शर्मा ने 30 मैचों में 104 विकेट, मोहम्मद शमी 25 मैचों में 88 और जसप्रीमत बुमराह ने 13 मैचों में 57 विकेट लिए हैं।