तीनों कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन के एक साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। इसी मुद्दे पर किसानों नेताओं के आपसी चर्चा के दौरान फूट की खबर सामने आई। इसी को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कुछ लोगों का तापमान हमेशा 200 डिग्री रहता है। लगता है कि अब मीटिंग में मोबाइल ले जाना बंद करना पड़ेगा।
समाचार चैनल एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि बैठक के दौरान किसान नेताओं के बीच भी आपसी नाराजगी की खबर सामने आई। तो इसपर टिकैत ने कहा कि हां नाराजगी निकल कर सामने आई है..बहुत क्रांतिकारी आदमी हैं। आगे टिकैत ने आपसी मनमुटाव को लेकर कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि ज्यादा लोग दिल्ली चलेंगे। कुछ लोगों का मानना है कि कम लोग दिल्ली चलेंगे। बहुत क्रांतिकारी विचारधारा है। ये तो किसान हैं जिसका तापमान 200 डिग्री रोज रहता है।
इस दौरान जब टिकैत से पूछा गया कि किसान नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव होगा तो क्या यह किसान आंदोलन के लिए सही होगा। तो इसके जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि वो अंदर की बात किसी ने बता दी। अंदर की बात पता नहीं चलनी चाहिए। अंदर मोबाइल ले जाना बंद करना पड़ेगा। किसी भी विषय पर चर्चा होती है तो उसपर तर्क वितर्क होता है। यहां कोई किम जोंग का राज नहीं है कि एक ने कह दिया तो चालू हो गया। कोई अपनी बात कहता है और दूसरा अपनी बात कहता है। अंदर की बात पता नहीं चलनी चाहिए। सबने अपनी बात कही। यही लोकतंत्र है।
इसके अलावा किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के चुनावी राजनीति में जाने के फैसले को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि उसपर कोई बात नहीं हुई है। हम उसपर दोबारा बैठकर बात करेंगे। 22 तारीख को लखनऊ में बैठक होगी और उसमें लखीमपुर खीरी को लेकर चर्चा होगी। 26 तारीख को एक साल होने पर देश के बाकी हिस्सों में भी कार्यक्रम होगा और संसद सत्र शुरू होने पर गाजीपुर बॉर्डर एवं टिकरी बॉर्डर से 500-500 लोग संसद जाएंगे।
गौरतलब है कि मानसून सत्र के दौरान भी किसानों ने जंतर मंतर के पास किसान संसद का आयोजन किया था। इससे पहले 26 जनवरी के दौरान दिल्ली के तरफ निकाली गई ट्रैक्टर रैली काफी हिंसक हो गई थी। प्रदर्शनकारी लाल किला परिसर में भी घुस गए थे। उस घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारी अपनी रणनीति बना रहे हैं और जल्दी ही किसान नेताओं और दिल्ली पुलिस के बीच बैठक भी हो सकती है।
बता दें कि पिछले 11 महीने से अधिक समय से देशभर से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जनवरी महीने से ही कोई बातचीत नहीं हुई है और गतिरोध जारी है। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया। हालांकि कृषि मंत्री ने भी साफ़ कर दिया है कि वे तीनों कानूनों के किसी भी प्रावधान पर बात करने को तैयार हैं लेकिन इन कानूनों को रद्द करने पर कोई बात नहीं होगी।