कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच तनाव अब तक जारी है। दोनों ही पक्ष बातचीत से पहले अपनी-अपनी शर्तों को लेकर अड़े हैं। जहां सरकार ने सिर्फ कृषि कानून के प्रावधानों पर चर्चा करने की बात कही है, वहीं कृषि संगठनों ने किसी भी चर्चा से पहले कानून ही वापस लेने की मांग रख दी है। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने बातचीत के लिए न बुलाए जाने को लेकर सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि यह किसी पार्टी की सरकार नहीं है, बल्कि मोदी की सरकार है, जिसे कंपनियां चला रही हैं।
क्या बोले राकेश टिकैत?: टिकैत ने कहा- “अगर ये सरकार किसी पार्टी की होती, तो वह जरूर बात करती। ये सरकार किसी पार्टी की नहीं है। जब वोट दिया, तो छोटे-छोटे बच्चे कह रहे थे कि अबकी बार मोदी सरकार। सबको पता है कि मोदी सरकार है। लेकिन मोदी सरकार को चला रही कंपनी। ये है मामला और इसीलिए बात नहीं हो पा रही।”
उन्होंने आगे कहा, “आम आदमी बर्बाद हो रहा, किसान बर्बाद हो रहा – सबकुछ महंगा हो गया, महंगाई दर आज आउट ऑफ़ कंट्रोल चल रही, कंपनी की सरकार, जब तक कानून वापस नहीं घर वापसी नहीं।” बता दें कि किसान संगठन पिछले छह महीने से ज्यादा समय से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों पर जुटे हैं।
किसानों से बातचीत के लिए कोई शर्त न रखे सरकार?: टिकैत ने कृषि कानूनों पर सरकार के साथ बातचीत को लेकर कहा, “अगर केंद्र सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है, तो उसे शर्तें नहीं रखनी चाहिए।” टिकैत की यह टिप्पणी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि तीन नए केंद्रीय कृषि कानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे और यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर, अन्य मुद्दों पर प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।
टिकैत बोले “हमने पहले भी कहा है कि जब भी सरकार तैयार होगी, हम बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन वे यह कहकर इसे सशर्त क्यों बना रहे हैं कि वे कृषि कानून वापस नहीं लेंगे?” उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, “भले ही वे (केंद्र) किसानों से बात कर लें, लेकिन उन्हें कॉरपोरेट चला रहे हैं।”