केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुए आंदोलन को आज एक साल पूरा हो गया। इसकी शुरुआत में किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया था। जिसके बाद दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है। हालांकि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मोदी सरकार की कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
बता दें कि किसानों का यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली के सिंघु, ग़ाज़ीपुर, टिकरी, कुंडली और शाहजहांपुर की सीमाओं पर चल रहा है। वहीं इसके एक साल पूरा होने पर पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत देश भर के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे। इस दौरान किसानों में जश्न का माहौल दिखा।
बता दें कि किसानों में इस बात का उत्साह है कि सरकार ने उनके आंदोलन को देखते हुए तीन कृषि क़ानून वापस ले लिए हैं। हालांकि इस आंदोलन में 750 किसानों की जान भी गई।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तीन कृषि क़ानूनों की वापसी तो पहली जीत है मगर किसानों की लड़ाई अभी बाक़ी है। टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार को स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए जो कि उसके चुनावी घोषणा पत्र में है। उन्होंने कहा कि सरकार जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) पर गारंटी कानून और बिजली संशोधन जैसी मांगे नही मानती, यह आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उनके परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाये। उन्होंने लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को जल्द बर्खास्त करने की मांग की।
उन्होंने कहा, “अभी तो आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार इसे बिना बातचीत के ही खत्म करना चाहती है लेकिन बिना बात के कैसे समाधान निकलेगा।” राकेश टिकैत ने कहा कि बिना सरकार से बातचीत के आंदोलन खत्म करने का प्लान नहीं है।
गाजीपुर बॉर्डर से राकेश टिकैत ने कहा, “जब तक संसद का सत्र चलेगा तब तक सरकार के पास सोचने और समझने का समय है। आगे आंदोलन कैसे चलाना है उसका फ़ैसला हम संसद चलने पर लेंगे। आंदोलन की रूपरेखा क्या होगी उसका फ़ैसला भी 27 नवंबर को हाने वाली संयुक्त किसान मौर्चा की बैठक में होगा।”
ग़ौरतलब है कि पीएम मोदी ने 19 नवंबर को देश के नाम संबोधन में तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। इसके साथ ही उन्होंने किसानों से वापस अपने घरों, खेतों में लौट जाने की अपील की है।