I.N.D.I.A के बैनर तले विपक्षी दलों के जुटने के बाद के दौर में बीजेपी को केरल में तीखी हार का सामना करना पड़ा है। बावजूद इसके कि सेंट्रल लीडरशिप ने सारी ताकत झोक दी थी। केरल बीजेपी की डिमांड के मुताबिक मैन मनी और मशीनरी मुहैया कराई गई थी। लेकिन उसके बाद भी बीजेपी फाइट में भी नहीं आ सकी। बीजेपी उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे। उनको पांच फीसदी से कुछ ज्यादा वोट हासिल हो सके।

सबसे हैरत करने वाली बात है कि मोदी शाह की रणनीति के बाद भी पार्टी उतने वोट नहीं जुटा सकी जो उसने 2011 के चुनाव में हासिल किए थे। कांग्रेस ने चुनाव में 61.38% वोट लेकर अव्वल रही। बीजेपी को पांच फीसदी से कुछ ही ज्यादा वोट मिल सके। लीडरशिप मान रही थी कि सीट उसके पास ही आएगी लेकिन हुआ इसका बिलकुल उलट। कांग्रेस के लिए ये जीत इस वजह से भी अहम है क्योंकि राहुल गांधी वायनाड से सांसद हैं।

चांडी ओमन ने थॉमस को 37 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से दी शिकस्त

केरल में कांग्रेस उम्मीदवार चांडी ओमन ने सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) को हराया। पुतुप्पली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) के खाते में ये सीट गई। चांडी ओमन के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी 50 साल से भी अधिक समय तक इस सीट से विधायक रहे थे। चांडी ओमन ने उपचुनाव में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के जैक सी थॉमस को भारी अंतर से हराया। चांडी ओमन ने उपचुनाव में थॉमस को 37,719 मतों के अंतर से शिकस्त दी।

पुतुप्पली उपचुनाव के लिए कांग्रेस, माकपा और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था। उपचुनाव में चांडी ओमन को जहां 80,144 वोट मिले, वहीं थॉमस को केवल 42,425 वोट ही मिल सके। भाजपा नेतृत्व ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उपचुनाव में अच्छे प्रदर्शन का भरोसा जताया था। लेकिन पार्टी मुकाबले में पीछे रही। भाजपा उम्मीदवार लिजिन लाल को कुल 6,558 वोट मिले।

ओमन चांडी के निधन से कांग्रेस को वोटर्स की सहानुभूति

उपचुनाव में ओमन चांडी के निधन के कारण कांग्रेस को वोटर्स की सहानुभूति प्राप्त हुई। उपचुनाव का परिणाम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुआ। माकपा के उम्मीदवार थॉमस मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र में एलडीएफ द्वारा नियंत्रित पंचायतों में भी पकड़ बनाने में विफल रहे, जिसके चलते चांडी ओमन ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने जीत के बाद कहा कि ये उनके अप्पा की है।

हालांकि बीजेपी इस चुनाव को काफी गंभीरता से ले रही थी। खुद अमित शाह इस चुनाव में रणनीति बना रहे थे। उनका पूरा जोर इस उप चुनाव को जीतने का था। बीजेपी चाहती थी कि वो कम से कम लड़ाई में नंबर दो पर अपनी जगह बना ले। क्योंकि आगे 2024 का आम चुनाव है तो उप चुनाव को जीतने के बाद वो माकपा के खिलाफ मजबूती से खड़ी हो सकती थी। केरल में माकपा सरकार में है और वो ताकतवर है। बीजेपी को पता है कि असेंबली चुनाव में अगर मजबूत लड़ाई लड़नी है तो उसे कम से कम इस चुनाव को जीतना होगा। तभी वो ताकतर दावेदार बन पाएगी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा कि ओमन चांडी कांग्रेस के कद्दावर नेता थे, जो लगातार 53 वर्षों तक इस क्षेत्र से विधायक रहे। तो एक सहानुभूति लहर थी। इसके अलावा, लोग मौजूदा राज्य सरकार से नाखुश थे, और उन्हें सबक सिखाने के लिए इस अवसर का उपयोग किया।