कोरोना वायरस के टीके देशभर में पहुंचने शुरू हो गए हैं। इसको लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ सभी एजेंसियां एलर्ट मोड में हैं। हालांकि टीके को लेकर भी राजनीति जारी है। ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम की वीडियो कांफ्रेंस के दौरान सवाल किया कि क्या केंद्र द्वारा दोनों टीकों (कोविशील्ड और कोवैक्सिन) को लेकर वैज्ञानिकों से पर्याप्त राय ले ली है।
टीवी चैनल न्यूज 18 के कार्यक्रम आर-पार में मंगलवार को एंकर अमीष देवगन के सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि “ममता जी ने जो संविधान पढ़ा है, उसका नाम है रोहिंग्या का संविधान। उसमें होता यह है कि जो मंत्री होता है वह डंडा लेकर चलता है। और उसका काम है पूछना कि क्या तुम रोहिंग्या वैक्सीन हो? और उसमें एक फोटो लगा दें मैं बताऊं कि सत्ता कुर्सी की, तो ममता बनर्जी एक नहीं, चार टीके लगवाएंगी। उनको बस इतना पता चल जाए कि जिसकी दुलत्ती खाने को वे तैयार हैं, दूध देने वाली गाय कि वोट देगी, वे चार टीके लगवाएंगी। सत्ता का ही नशा है इनको। इनको पता है कि इनकी सरकार जाने वाली है।”
ममता बनर्जी ने पूछा था कि क्या पर्याप्त संख्या में टीकाकरण से पहले दोनों टीकों का ट्रायल किया गया है? वैक्सीनेशन से पहले अध्ययन की जरूरत है। बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से यह भी स्पष्ट करने का अनुरोध किया था कि क्या वैक्सीनेशन के बाद इसका कोई दुष्प्रभाव हो सकता है? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों को दो टीकों के बीच चयन करने या खरीदने का कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि भारत सरकार ने दोनों वैक्सीन के पक्ष में एक विशिष्ट निर्णय लिया है।
कहा अब मैं सलमान निजामी जी की बात करूंगा, जो कह रहे हैं कि बिना ट्रायल के टीके आ गए हैं, तो बताएं राहुल गांधी बिना ट्रायल किए ही राजनीति में आए हैं तो क्या हुआ। और अगर नेता पहले ट्रायल करे तो बताइए संजय गांधी नसबंदी नियम लाए थे, क्या वे पहले खुद कराए थे। मोदी जी हाय-हाय करने वाले बताएं कि अगर पीएम पहले टीका लगवा लें तो आप कहेंगे कि पहले गरीबों को नहीं लगा है आप क्यों लगवा रहे हैं? गरीबों का हक मार दिया और अगर न लगवाएं तो आप कहेंगे कि आप क्यों नहीं लगवाए? तो ऐसे में आप मोदी हाय-हाय ही करते रहेंगे।”