सुप्रीम कोर्ट ने आज कृषि कानूनों को लागू किए जाने पर रोक लगा दी है। इस मुद्दे पर एबीपी न्यूज पर डिबेट के दौरान बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है, जिसके बाद समिति बनाने का फैसला दिया गया है। पात्रा ने डिबेट में कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के आगे सब बातें रखी गईं। उन्होंने फटकार भी लगाई हमें। सबको फटकार इत्यादि लगाने के बाद उन्होंने कहा कि कमेटी बनेगी। कमेटी के सामने दोनों पक्षों को प्रस्तुत होना पड़ेगा। अपने विषय को बिंदुवार रखना होगा। कमेटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी।”
पात्रा ने डिबेट में किसान नेता से पूछा, ”क्या आप कोर्ट को मानते हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया कि हम किसान संगठनों से ये सुनना नहीं चाहते हैं कि हम कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे। कोर्ट ने कहा कि किसानों को भी समिति के सामने जाना होगा क्योंकि इस समस्या का समाधान किया जाना है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसानों को विरोध जारी रखना हो तो रख सकते हैं।” पात्रा ने पूछा कि हम तो कोर्ट के फैसले को मानेंगे आप मानेंगे या नहीं ये बता दीजिए?
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को कुछ समय के लिए लागू होने से रोक दिया है। आज कोर्ट ने केंद्र को झटका देते हुए कहा कि फिलहाल कानून को लागू न किया जाए। कोर्ट ने इस संबंध में एक समिति को जिम्मेदारी सौंप दी है। जो कि इस मुद्दे पर सरकार और किसानों का पक्ष सुनेगी। आज चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा , “फिलहाल हम कृषि कानूनों पर रोक लगा रहे हैं जब तक कि आगे कोई आदेश नहीं दिया जाता है।”
कोर्ट ने कहा, “हम किसानों को विरोध प्रदर्शन करने से नहीं रोक रहे हैं। लेकिन हमारा आदेश किसानों के विरोध प्रदर्शन के उद्देश्य के पूरे किए जाने के तौर पर देखा जाना चाहिए। किसानों को दोबारा से अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की ओर लौट जाना चाहिए जिससे कि न सिर्फ उनके बल्कि औरों के जीवन और संपत्ति की भी रक्षा हो सके।”
सरकार ने अपनी सफाई में कोर्ट से कहा कि ये कानून जल्दबाजी मे नहीं बनाए गए हैं। दो दशकों तक चर्चा के बाद कानूनों का ये खाका तैयार हुआ है। बता दें कि आठ दौर से ज्यादा की बातचीत के बाद भी किसानों और सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध खत्म नहीं हो सका है। सरकार जहां किसानों को संशोधन करने का विकल्प दे रही है तो वहीं किसान कानूनों की वापसी से कम में राजी नहीं हैं।
