सरकार के द्वारा लागू किये गए कृषि क़ानूनों के खिलाफ में देश भर में प्रदर्शन जारी है। सभी विपक्षी दल नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हैं। इसी बीच भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने ट्विटर पर राहुल गाँधी का एक पुराना वीडियो शेयर करते हुए तंज कसा है। वीडियो में राहुल गाँधी कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने की वकालत कर रहे हैं ।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा नें राहुल गाँधी के पुराने लोकसभा में दिये गये भाषण का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि ये क्या जादू हो रहा है राहुल जी। पहले आप जिस चीज की वकालत कर रहे थे अब उसका ही विरोध कर रहे हैं। देश हित किसान हित से आपका कुछ लेना देना नहीं है। आपको सिर्फ राजनीति करनी है। लेकिन आपका दुर्भाग्य है कि अब आपका पाखंड नहीं चलेगा। देश की जनता और किसान आपका दोहरा चरित्र जान चुके हैं।
ये क्या जादू हो रहा है राहुल जी?
पहले आप जिस चीज़ की वकालत कर रहे थे, अब उसका ही विरोध कर रहे है।
देश हित, किसान हित से आपका कुछ
लेना-देना नही है।आपको सिर्फ़ राजनीति करनी है।लेकिन आपका दुर्भाग्य है कि अब आपका पाखंड नही चलेगा। देश की जनता और किसान आपका दोहरा चरित्र जान चुके है। pic.twitter.com/Uu2mDfBuIT— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) December 27, 2020
दरअसल वीडियो में राहुल गाँधी लोकसभा में हुई एक चर्चा के दौरान कह रहे हैं कि कुछ साल पहले यूपी में हमारा दौरा था। एक किसान ने मुझसे सवाल पूछा और कहा कि हम आलू बेचते हैं दो रुपया किलो मगर जब हमारे बच्चे चिप्स खरीदते हैं तो दस रुपए का पैकेट आता है और उसमें एक आलू होता है। किसान ने मुझसे पूछा कि ये क्या जादू है।
फिर मैने उन किसानों से पूछा कि आपको क्या लगता है इसका कारण क्या है और उन्होंने कहा राहुल जी उसका कारण ये है कि जो फ़ैक्टरी होती है वो हमारे यहाँ से दूर होती है। अगर हम अपना माल सीधे फैक्ट्री मे बेच पाते तो बीच में से जो लोग पैसा ले जाते हैं यानि कि बिचौलिये उनको फायदा नहीं होगा और पूरा पैसा हमें मिलेगा।
राहुल आगे कह रहे हैं कि यही फूड पार्क के पीछे की सोच थी। और ये एक प्रकार से अमेठी और उत्तर प्रदेश के जो 10-12 जिले हैं उनके मज़दूरों की और किसानों की लड़ाई है।
ग़ौरतलब है कि पिछले एक महीने से दिल्ली से सटे अलग अलग बॉर्डरों पर देश भर के किसान जुटे हुए हैं। वे शुरू से ही इन क़ानूनों को निरस्त करने की माँग कर रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। सरकार के साथ किसानों के पहले दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही।
हालांकि किसानों नें एक बार फिर से सरकार को पत्र लिख कर यह कहा है कि सभी किसान संगठन आपसे बातचीत करना चाहते हैं। अब आप यह तय करिये कि आप किसानों से बात करेंगे, उनकी माँगों पर अमल करेंगे या नहीं। किसान संगठनों ने अगले दौर की बातचीत के लिए अपनी ओर से 29 दिसंबर की तारीख तय की है।