इतिहास में पहली बार जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सरकार में आने का रास्ता साफ हो गया है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए यहां मुलाकात करने के बाद मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की औपचारिक घोषणा कर दी।
पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को मुलाकात करेंगे। उसके बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम को गुरुवार को सार्वजनिक किया जाएगा। सईद के जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री और भाजपा के निर्मल सिंह के उपमुख्यमंत्री बनने की संभावना है। शपथ ग्रहण समारोह एक मार्च को हो सकता है। इस तारीख का चयन शुभ दिन को ध्यान में रखते हुए किया गया है। विभागों के बंटवारे को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। पीडीपी को गृह और वित्त विभाग मिलने की संभावना है। भाजपा को पर्यटन, जल संसाधन, जन स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और योजना विभाग मिल सकते हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अपने आवास पर महबूबा के साथ 45 मिनट की बैठक के बाद दोनों नेता मीडिया के सामने आए। उन्होंने राज्य में गठबंधन सरकार के गठन के बारे में घोषणा की। उन्होंने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर वार्ता के विभिन्न दौर के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर आम सहमति लगभग होने वाली है। बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर की जनता के पास पीडीपी-भाजपा गठबंधन की लोकप्रिय सरकार होगी। सईद के मोदी से मिलने के बाद सरकार गठन की तारीख और समय के बारे में घोषणा की जाएगी। बैठक बहुत जल्द होगी। इसके बाद दोनों दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम जारी करेंगे।
महबूबा ने गतिरोध के विषयों को बताए बिना कहा कि दोनों दलों के बीच अहम मुद्दों पर आम सहमति बनी है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम को गठबंधन का एजंडा बताते हुए उन्होंने कहा कि गठबंधन सत्ता राज्य की जनता का दिलोदिमाग जीतने के लिए है। इस गठबंधन को अतीत के गठबंधनों से अलग बताते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य की जनता के हितों और राष्ट्रहित को दिमाग में रखा गया है। गठबंधन बनने के प्रमुख कारक जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए विकास, महत्त्वाकांक्षा, समृद्धि और शांति हैं। मैं खुश हूं कि दोनों दलों ने ऐसा बीच का रास्ता अपनाया है जहां से राज्य और देश दोनों को फायदा पहुंचेगा।
पीडीपी इसे समझौता होने के लिए अहम बैठक के रूप में पेश कर रही है। लेकिन इस घटनाक्रम के करीबी सूत्रों ने कहा कि सब कुछ पहले ही तय हो चुका है। यह बैठक तो मोदी-सईद मुलाकात से पहले की शिष्टाचार मुलाकात थी।
दोनों दलों का कहना है कि अफस्पा और अनुच्छेद 370 पर मतभेद सहित सभी मुद्दे सुलझा लिए गए हैं। दोनों दलों ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम खासकर अनुच्छेद 370 और अफस्पा के संबंध में जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। इन दो विषयों पर दोनों दलों का नजरिया विपरीत है। माना जा रहा है कि दोनों पक्ष एक समिति के गठन पर सहमत हुए हैं जो अफस्पा के मुद्दे पर गौर करेगी और उन क्षेत्रों के बारे में सुझाव देगी जहां से इसे हटाया जा सकता है। भाजपा ने अनुच्छेद 370 पर पीडीपी की मांग के बावजूद कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया है। उम्मीद है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम में कहा जाए कि दोनों दल संविधान के दायरे में राज्य की जनता की महत्त्वाकांक्षाओं का सम्मान करेंगे। प्रस्तावित न्यूनतम साझा कार्यक्रम में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के 25 हजार परिवारों के मुद्दे को मानवीय मुद्दा बताया जा सकता है।
शाह के आवास पर महबूबा के साथ पार्टी सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग भी मौजूद थे। पीडीपी ने भाजपा अध्यक्ष शाह को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया जबकि शाह ने महबूबा को शाल भेंट की। शाह से मिलते हुए बेग ने हल्के मूड में कहा कि मैं ऐसे राज्य से आ रहा हूं जहां स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ रहे हैंं।
यह पहली बार है जब राज्य विधानसभा के परिणाम 23 दिसंबर को घोषित होने के बाद से इतने लंबे समय तक राज्य में निर्वाचित सरकार नहीं बनी है। विधानसभा चुनावों में पीडीपी ने 28, भाजपा ने 25 और नेकां ने 15 सीटें जीती थीं।