बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अपनी ही पार्टी को असहज करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। उनका ताजा हमला कानून मंत्रालय पर हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कानून मंत्रालय के अफसर सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री व लिस्टिंग सेक्शन में लगातार दखल दे रहे हैं। इससे कोर्ट की साख और काम दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

स्वामी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से आग्रह किया कि वह अपने अफसरों को हिदायत जारी ऐसा न करने को बोलें। इससे कोर्ट की साख पर बट्टा लग रहा है। उनका कहना है कि वह खुद कानून मंत्री रह चुके हैं। वह बखूबी समझते हैं कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। मंत्री रहते वह कोर्ट की मर्यादा का पूरा ख्याल रखते थे, लेकिन लगता है कि मोदी सरकार में प्रोटोकाल बदल गया है।

उधर, स्वामी के इस ट्वीट पर राघव भारत के हैंडल से ट्वीट किया गया कि लगता है इसी वजह से PIL से लेकर संशोधनों से जुड़े मामलों में देर हो रही है। रोहित चौधरी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट का लिस्टिंग डिपार्टमेंट पूरी तरह से करप्ट है। जो पैसे से मजबूत हैं या फिर किसी प्रभावशाली राजनीतिक दल से जुड़े हैं, उनके मामले जल्दी सुने जाते हैं। मेरे जैसे आम आदमी को 6 साल के इंतजार के बाद भी तारीख नहीं मिलती है।

स्वामी बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं। गांधी परिवार से उनका आंकड़ा जगजाहिर है। नेशनल हेरॉल्ड मामले में सोनिया गांधी को कोर्ट तक घसीटने का काम स्वामी ने ही किया। लेकिन अभी वह बीजेपी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। बीते कुछ अर्से से स्वामी लगातार ट्वीट करके सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं। सूत्र कहते हैं कि पीएम ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी इससे वह खासे नाराज हैं। इसी वजह से वह हमलावर हो रहे हैं।

स्वामी ने इससे पहले पेट्रोल के दामों को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने नेपाल और भारत के दामों की तुलना करते हुए कहा था कि पड़ोसी देश में पेट्रोल डीजल भारत से सस्ता बिक रहा है। इसके लिए उन्होंने राम और सीता का भी जिक्र किया। हालांकि, बीजेपी को उनका यह तंज काफी ज्यादा अखरा था अलबत्ता स्वामी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। कुछ दिनों बाद ही उन्होंने चीन को लेकर सरकार पर हमला बोला।

स्वामी ने चीन मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि पीएम मोदी कहते हैं कि कोई आया नहीं, कोई गया नहीं तो फिर चीनी सेना से बातचीत किस बात को लेकर हो रही है। स्वामी के मुताबिक, चीन से अपने इलाके वापस लेने का एकमात्र तरीका युद्ध ही है। सेना को आक्रामक होकर चीन को जवाब देना चाहिए। उनका कहना है कि सरकार इस मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है। इसे बदला जाना चाहिए।