प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कुछ बीजेपी सांसदों का बर्ताव और कार्यशैली सिरदर्द बनी हुई है। वह इन्हीं चीजों को दुरुस्त करने के लिए उनकी अनुशासन की क्लास लगाएंगे। दरअसल, बीजेपी इस सप्ताहंत अपने सांसदों के लिए खास वर्कशॉप करेगी, जिसे ‘अभ्यास वर्ग’ नाम दिया गया है। हिमाचल प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में पहले से ही चल रही इस वर्कशॉप से पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर नए और पहली बार सांसद बनने वाले नेताओं को उनके अधिकारों, जिम्मेदारियों व बाकी चीजों से रू-ब-रू कराएगी।
दो दिवसीय यह ट्रेनिंग सेशन तीन और चार अगस्त, 2019 को होगा। अभ्यास वर्ग में पीएम के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी रहेंगे। रविवार (28 जुलाई, 2019) को बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को इसमें अनिवार्य तौर पर शामिल होने के लिए कहा है।
नाम न बताने की शर्त पर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘एनडीटीवी’ से कहा, “कई नेता पहली बार सांसद बने हैं, जबकि कुछ दूसरी पार्टी से हमसे जुड़े हैं। ऐसे में इस प्रकार के कार्यक्रम कराना जरूरी है। इनसे न केवल वे पार्टी से वाकिफ होंगे, बल्कि यह भी पता लगेगा कि उनकी क्या उम्मीदें हैं। यह ‘अभ्यास वर्ग’ आगे भी कराए जा सकते हैं।”
दूसरे कार्यकाल में पीएम ने सांसदों में अनुशासन, वक्त की पाबंदी और बारी आने पर न बोलने को लेकर खासा जोर दिया है। उन्होंने संसद की उपस्थिति पंजिका के हवाले से कहा था, “विपक्ष से मुझे शिकायत मिली है कि किसी विषय पर चर्चा हो रही हो, तभी मंत्री और सांसद नदारद रहते हैं।” सूत्रों की मानें तो यह वर्कशॉप इस बात के भी संकेत देती है कि पीएम मोदी अपने कुछ सांसदों द्वारा विवादित बयानों और कुछ और गतिविधियों को लेकर बेहद चिंतित हैं।
बता दें कि बीजेपी द्वारा अपने सांसदों व नेताओं को बार-बार समझाने के बाद भी हाल ही में इनकी कुछ घटनाओं पर पार्टी की कड़ी निंदा हुई थी। फिर चाहे मालेगांव ब्लास्ट केस की आरोपी और पहली बार सांसद बनीं प्रज्ञा ठाकुर (भोपाल, म.प्र) के विवादित बयान (नाली साफ करने, गोडसे और करकरे पर) हों या सांसद रामशंकर कठारिया के सुरक्षाकर्मियों द्वारा आगरा के पास टोल प्लाजाकर्मियों की पिटाई का मामला।
वहीं, उत्तराखंड में बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव सिंह ‘चैंपियन’ के ‘तमंचा डांस’ और मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय (कैलाश विजयवर्गीय के बेटे) द्वारा बल्ले से निगमकर्मी की पिटाई के मामले पर भगवा पार्टी की चारो तरफ निंदा हुई थी। इससे पहले, मोदी के सत्ता (2014) में आने के बाद भी ऐसी ही अनुशासन की पाठशालाएं लगाई गई थीं।
