भाजपा में दूसरी पार्टियों से आए नेताओं के उदय के बीच कई पुराने नेता सियासी तौर पर हाशिए पर धकेले जा चुके हैं। खासकर पार्टी में मोदी-शाह के हाई-कमांड कल्चर के आने के बाद से। ऐसे ही कुछ नेताओं में एक नाम पीलीभीत से भाजपा सांसद और युवा नेता वरुण गांधी का भी है, जिन्हें इस कैबिनेट फेरबदल में फिर नजरअंदाज कर दिया गया। हालांकि, वरुण गांधी इसे लेकर बगावती तेवर नहीं अपना रहे, बल्कि अलग-अलग मंचों से छिपे तरीके से भाजपा नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं।
ताजा मौका था पीलीभीत में पीलीभीत में ओलिंपिक खेल में हिस्सा लेने गए खिलाड़ियों के परिवारों को शुभकामनाएं देने के लिए रखे गए एक कार्यक्रम का। यहां वरुण गांधी को भी बुलाया गया था, जिन्होंने परिवारों को सम्मानित किया। इस दौरान जब वे बच्चों के साथ खेल रहे थे, तो एक बच्चे ने उनकी तरफ हंसी में घूंसा मारने का इशारा किया। इस पर वरुण गांधी ने तुरंत की मौका लपकते हुए केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने बच्चे की ओर इशारा कर कहा, “ये तो बड़े होकर बॉक्सिंग करेंगे। लगता है सरकार से नाराज हैं।”
इसके बाद मंच से लोगों को संबोधन में विरोधियों पर तंज कसते हुए कहा, “हमारे जो सबसे युवा खिलाड़ी थे, उन्होंने तो आज मेरी ऐसी धुलाई कर दी, जैसे मेरा कोई राजनीतिक प्रतिद्वंदी आज तक नहीं कर पाया।” बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब वरुण गांधी के कैबिनेट में शामिल होने की चर्चा के बाद भी उन्हें कोई पद नहीं मिला। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी वरुण को कोई विभाग नहीं दिया गया था।
मोदी-शाह के आने के बाद कम हुई वरुण गांधी की हैसियत?: बताया जाता है कि 2014 में वरुण गांधी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्रचार करने से मना कर दिया था। इसके चलते भाजपा में वरुण गांधी की हैसियत लगातार कम होने लगी। हालांकि, उनकी मां मेनका गांधी को पीएम मोदी ने कैबिनेट में शामिल किया था। लेकिन 2019 में भाजपा के दोबारा सत्ता में आने के बाद मेनका को भी मंत्रीपद नहीं दिया गया, जिसे लेकर वरुण पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं।