इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी का मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावर है। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी पेगासस के मामले को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इस मुद्दे को लेकर भाजपा सांसद ने कहा है कि पेगासस स्कैंडल अमेरिका में हुए वाटरगेट स्कैंडल की तरह बनता जा रहा है।
भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि पेगासस साइबर स्कैंडल वाटरगेट जैसा होता जा रहा है। जिसकी शुरुआत वाशिंगटन की वाटरगेट बिल्डिंग में डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव मुख्यालय में सेंधमारी के एक छोटे से अपराध से हुई थी। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन के इनकार के कारण इस मामले की पूरी जांच हुई और व्हाइट हाउस में फोन टैपिंग का पता चला।
Pegasus cyber scandal is becoming like Watergate which scandal had begun with a petty crime of burglary in Democratic Party election HQ in Washington’s Watergate Building. Denials by Nixon led to research and to White House taping of conversations.That blew it wide open.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 23, 2021
सुब्रमण्यम स्वामी के इस ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। ट्विटर हैंडल@Alwaysjeevan ने लिखा कि सर सच्चाई यह है अधिकांश लोगों को पेगासस से कोई फर्क नहीं पड़ता है। पहले फोन टैपिंग हुआ करता था अब स्मार्टफोन टैपिंग होता है। यूजर के इस ट्वीट पर सुब्रमण्यम स्वामी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। सुब्रमण्यम स्वामी ने लिखा कि फोन टैपिंग के कारण कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे आर के हेगड़े को मेरी रिपोर्ट की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था।
इसके अलावा ट्विटर हैंडल @SA_PhD ने भी स्वामी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि वो सिर्फ अमेरिका में संभव हो सकता है। आपको क्या लगता है कि ये भारत में संभव हो पाएगा। जो इसकी जांच करेगा उसके ऊपर या तो आईटी की रेड हो जाएगी या उसको तिहाड़ जेल में बंद कर देशद्रोही घोषित कर दिया जाएगा. वहीं चंद्रा नाम के भी एक यूजर ने लिखा कि वो अमेरिका है और ये इंडिया है। यहां जासूसी से किसी को फर्क नहीं पड़ता है।
बता दें कि जब से पेगासस का मामला मीडिया की सुर्खियां बना है तब से भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। पिछले दिनों भी उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पेगासस स्पाईवेयर एक कमर्शियल कंपनी है जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है। इसलिए प्रश्न यह उठता है कि भारतीय “ऑपरेशन” के लिए उन्हें किसने भुगतान किया। अगर भारत सरकार ने नहीं किया तो किसने किया? इस बारे में भारत के लोगों को बताना मोदी सरकार का कर्तव्य है।