दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर ने आज हाई कोर्ट को बताया कि बीजेपी सांसद गौतम गंभीर के फाउंडेशन ने बिना अनुमति के अवैध रूप से कोविड दवाएं खरीदी और बांटी। इसके कुछ ही समय बाद, गौतम गंभीर ने एक ट्वीट में शहीद-ए-आजम भगत सिंह को कोट किया। क्रिकेटर से नेता बने गंभीर ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और जनता की भलाई के लिए वह जो कर सकते हैं करते रहेंगे। उन्होंने ट्वीट किया, “मैं एक आदमी हूं और जो कुछ भी मानव जाति को प्रभावित करता है वह मुझे चिंतित करता है – सरदार भगत सिंह!” हालांकि इसके बाद कुछ ट्विटर यूजर्स ने नेता को ट्रोल करना शुरू कर दिया।
क्रांतिकारी @किसान पुत्र(@ajaysiddhu01) ने लिखा कि सबसे पहले आप हमें आपके बिल्डर दोस्त से आजादी दिलाएं। Gss(@Gss_Views) ने लिखा, ‘काहे भगत सिंह जी का नाम ख़राब कर रहे हो भाई, उन्होंने जनता के लिए अपनी जान दे दी और आपने सिर्फ़ अपनी राजनीति चमकाने के लिए हज़ारों लोगों की जान बचाने वाली दवाई की ही होर्डिंग कर ली। पूर्व क्रिकेटर होने के नाते आपसे बेहतर चीज की उम्मीद थी।’ शमशाद आलम (@ShamshadAlamAAP) ने लिखा, ‘गौतम!! मोदी सरकार के इशारे पर
दिल्ली पुलिस ने दो बार बचा लिया था लेकिन इंसाफ के मंदिर में सत्ता की नही सत्य की सुनवाई होती है।’
मालूम हो कि आज दिल्ली ड्रग कंट्रोलर ने हाई कोर्ट को बताया कि गौतम गंभीर फाउंडेशन को बिना लाइसेंस के COVID-19 रोगियों को फैबीफ्लू दवाएं खरीदने और वितरित करने का “दोषी” पाया गया। अदालत को बताया गया कि आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक प्रवीण कुमार ने भी ऐसा ही अपराध किया है।
I am a man and all that affects mankind concerns me – Sardar Bhagat Singh!
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) June 3, 2021
एक अधिकारी ने बताया: “ड्रग कंट्रोलर द्वारा की गई जांच में पाया गया कि फैबीफ्लू और ऑक्सीजन दोनों ने मुफ्त में बांटे थे, लेकिन उनके पास न तो खरीदने या वितरित करने का लाइसेंस था।” इस अपराध में पांच साल जेल की सजा का प्रावधान है।
ड्रग कंट्रोलर ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि फाउंडेशन के खिलाफ ‘बिना देर किए’ कार्रवाई की जाएगी। ड्रग कंट्रोलर को छह सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी होती है। कोर्ट की अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।
हाई कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोपियों पर प्राथमिकी की मांग की गई है। ये याचिका उन राजनेताओं के खिलाफ है जिन्होंने बड़ी मात्रा में कोविड की दवाएं खरीदीं और उन्हें वितरित कीं, जबकि मरीज उन तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
हृदयुया फाउंडेशन के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर के शूटर याचिकाकर्ता दीपक सिंह ने सवाल किया है कि राजनेता बिना अनुमति के दवा का बड़ा स्टॉक कैसे खरीद सकते हैं?
अप्रैल में, गंभीर ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में मुफ्त फैबीफ्लू बांटने की बात कही थी। दिल्ली की सत्तारूढ़ AAP ने उन पर उस समय दवाओं की जमाखोरी का आरोप लगाया था। बीजेपी सांसद ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से साफ इनकार किया है।
सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि गंभीर ने संजय गर्ग अस्पताल में एक डॉक्टर के पर्चे का उपयोग करके फैबीफ्लू के 2,628 स्ट्रिप्स खरीदे थे। पुलिस ने कहा कि इनमें से 2,343 स्ट्रिप्स मरीजों को वितरित की गईं और बाकी दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के पास वितरण के लिए जमा कर दी गईं।
पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को “ठीक से जांच नहीं करने” के लिए फटकार लगाई थी कि गंभीर ने इतनी बड़ी खेप कैसे खरीदी जब फैबीफ्लू की आपूर्ति कम थी।