कोरोनावायरस से बिगड़ते हालात के बीच भारत को इस वक्त सीमाओं पर चीन के बाद अब नेपाल से भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक दिन पहले ही नेपाल की संसद ने भारतीय क्षेत्रों को अपने हिस्से में बताने वाले नक्शे को पास कर दिया। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया दी गई है। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व वित्त मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव करने की जरूरत है।
स्वामी ने रविवार को ट्वीट में कहा, “आखिर कैसे नेपाल भारत के क्षेत्र को अपना बता सकता है? उनकी भावनाओं पर ऐसा क्या आघात हुआ, जो वे भारत से टूट जाना चाहते हैं? क्या यह हमारी नाकामी नहीं है? भारत की विदेश नीति को भी बदलने की जरूरत है।”
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गौरतलब है कि सुब्रमण्यम स्वामी नेपाल से पहले भी अच्छे रिश्ते रखने की वकालत कर चुके हैं। पिछले महीने ही उन्होंने नेपालियों को ब्लड ब्रदर्स (खून के रिश्ते से भाई) बताया था। उन्होंने 29 मई को ट्वीट कर सलाह दी थी कि प्रधानमंत्री को अपने विदेश मंत्रालय के राजनयिकों से कहना चाहिए कि वे नेपाली समकक्षों से मीठी बोली बोलें। नेपाली हमारे खून के रिश्ते के छोटे भाई हैं। अगर नेपालियों को अलग-थलग महसूस हो रहा है, तो हमें मजबूत कंधों से इसे पहचानना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
स्वामी का यह बयान नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के उस बयान के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत से आ रहा कोरोनावायरस चीन से भी ज्यादा घातक है। ओली इससे पहले भी भारत से तिब्बत के ट्राई-जंक्शन पर पड़ने वाले कालापानी से फौज हटाने के लिए कह चुके हैं। हालांकि, शनिवार (13 जून) को नेपाल की संसद ने नक्शे के संशोधन को लेकर बिल पास किया।
नेपाल ने अपने नक्शे में किन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया
नेपाल ने 18 मई को एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया था। इस नक्शे के आने के बाद से ही दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ रही है। भारत के लगातार विरोध के बाद भी नेपाल इस नक्शे पर अड़ा है। नेपाल की ओली सरकार ने पिछले महीने नक्शा जारी करते हुए कहा था कि नेपाल बातचीत के माध्यम से भारत द्वारा कब्जा की गई भूमि वापस हासिल करेगा। नेपाल ने पहले ही भारत से सीमा रेखा पर चर्चा के लिए विदेश सचिव स्तर की बैठक बुलाने को कहा है।