भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाली संसद की आचार समिति लगभग निष्क्रिय हो चुकी है। राहुल गांधी की यूके की नागरिकता के विवादास्पद मुद्दे के बाद भी समिति की चार साल में एक बार भी बैठक नहीं हुई है। इससे पहले समिति के पास एक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील नारद स्टिंग से जुड़ा मामला सौंपा गया था। इसमें तृणमूल नेता की संलिप्तता की बात कही गई थी।
ईटी की खबर के अनुसार पार्टी लाइन से इतर समिति के एक सदस्य ने कहा कि इन मुद्दों को समिति को सौंपे जाने के बावजूद समिति में न तो इन पर कभी चर्चा हुई और ना ही आडवाणी ने कभी इस पर बैठक बुलाई। लोकसभा की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार समिति की आखिरी बैठक 3 दिसंबर 2015 को हुई थी।
इसमें लोकसभा की आचार समिति को लेकर नियम और प्रकियाएं तय की गई थीं। ईटी की तरफ से इस संबंध में लोकसभा के सचिव, लोकसभा स्पीकर और आडवाणी से जवाब मांगा गया था लेकिन उन लोगों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। साल 2015 में सुब्रह्मणयम स्वामी ने राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता होने का आरोप लगाते हुए पीएम को पत्र लिखा था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2015 में एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी।
जनवरी 2016 में भाजपा सांसद महेश गिरी ने राहुल गांधी के मुद्दे को लोकसभा में उठाया था और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस मामले को आचार समिति को भेज दिया था। समिति ने इस संबंध में राहुल गांधी को मार्च 2016 में नोटिस भेजा था। इस मामले के बाद भी स्पीकर ने तृणमूल सांसद से जुड़े एक और मामले को मार्च 2016 में समिति के पास भेजा दिया था।
इसी तरह की मांग को राज्यसभा में खारिज कर दिया गया था। समिति के कुछ सदस्यों ने बताया कि इन मुद्दों पर कभी चर्चा ही नहीं हुई। बीजद के सांसद बी. मेहताब ने बताया कि राहुल के मुद्दे पर आगे कभी चर्चा नहीं हुई। भाजपा नेता और समिति के सदस्य करिया मुंडा ने बताया कि हमें नहीं पता कि राहुल के मुद्दे पर क्या हुआ।
अरुणाचल पूर्व के कांग्रेस के सांसद निनोंग एरिंग ने कहा कि कमेटी ने इस मुद्दे को शायद इसलिए नहीं उठाया क्योंकि इसमें कोई मेरिट नहीं था। इस संबंध में फिरोजपुर से सांसद शेर सिंह घुबाया ने कहा, ‘क्यों समिति की बैठक नहीं हुई इस बारे में हमारे अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी ही बता सकते हैं।’