हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग में कुछ दिन ही बाकी हैं। इस बीच पूरे राज्य में आम धारणा है कि कांग्रेस आगे दिख रही है। हालांकि कुरुक्षेत्र और करनाल के लोग इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा मुकाबले से बाहर नहीं हुई है। कुरुक्षेत्र शहर में हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले निवासी संदीप सिंगला कहते हैं कि यह भाजपा के लिए आसान चुनाव नहीं होगा, भले ही नवीन जिंदल ने कुछ ही महीनों पहले कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट जीती थी। हालांकि सिंगला का कहना है कि कांग्रेस भी चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा, “यह एकतरफा चुनाव नहीं है। बेशक कांग्रेस को बढ़त हासिल है, क्योंकि आम धारणा है कि यह बदलाव का समय है।”
क्या सोचते हैं बीजेपी कार्यकर्ता?
पड़ोसी करनाल जिले के तखाना गांव में एक मल्टीनेशनल कंपनी के युवा अधिकारी जय किशन शर्मा के लिए स्थानीय भाजपा विधायक द्वारा किया गया काम 5 अक्टूबर को मायने रखेगा। वहीं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तुलना उनके पूर्ववर्ती और मौजूदा केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मनोहर लाल खट्टर से करते हुए एक बीजेपी कार्यकर्ता कहते हैं, ”खट्टर साहब भी ठीक थे, बस वो फैसले लेने में थोड़े धीमे थे। लेकिन सैनी साहब युवा, ऊर्जावान और निर्णायक हैं।
भाजपा ने यह महसूस करते हुए कि आजीविका के मुद्दे मतदाताओं के लिए किसी भी अन्य चीज़ से अधिक मायने रखेंगे, उन्होंने अपनी रणनीति को थोड़ा बदला है। केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और लोकप्रियता पर निर्भर रहने के बजाय पार्टी पिछले एक दशक में राज्य सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड पर ध्यान केंद्रित कर रही है। एक दशक में यह पहली बार है कि भाजपा के चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी केंद्र में नहीं हैं।
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चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी पारदर्शी तरीके से नौकरियां देने की बात कर रही है। पार्टी का कहना है कि बिना पर्ची, बिना खर्च के नौकरियां मिल रही है। पार्टी सैनी सरकार के क्रिमी लेयर के वार्षिक आय सीमा बढ़ाने के फैसले का भी प्रचार कर रही है। पार्टी का कहना है कि सैनी सरकार से सरकारी कर्मचारी, पिछड़े समुदाय और पंचायत प्रमुखों को कई रियायतें मिली हैं।
बीजेपी जातिगत गणित पर भी भरोसा कर रही है और गैर-जाट समुदायों को एकजुट करने और दलित वोटों को विभाजित करने का प्रयास कर रही है। राज्य भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि हरियाणा में चुनावी रूप से सबसे प्रभावशाली समुदायों में से एक जाटों के वोट कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोक दल और जननायक जनता पार्टी के बीच बंट जाएंगे।
करनाल जिले के लाडवा विधानसभा क्षेत्र के एक भाजपा कार्यकर्ता सुनील कुमार ने दावा किया कि पीएम मोदी इस चुनाव में कोई फैक्टर नहीं हैं। बेरोजगारी के मुद्दे ने कुछ महीने पहले हरियाणा में लोकसभा चुनावों में भाजपा को नुकसान पहुंचाया था। हालांकि अब भाजपा कार्यकर्ता नौकरियां पैदा करने के लिए सैनी सरकार के प्रयासों के बारे में बात करने के लिए उत्सुक हैं। भाजपा कार्यकर्ता सुशील कुमार ने कहा, “मेरे बेटे को बिना किसी सिफारिश के नौकरी मिल गई। मैंने किसी को कोई पैसा नहीं दिया है और न ही किसी से मेरी मदद करने के लिए कहा है। एक अन्य भाजपा कार्यकर्ता राज कुमार बताते हैं कि उनकी बहू को भी रिश्वत दिए बिना नौकरी मिल गई।
क्या सोचते हैं वोटर?
कई मतदाता नौकरियों की कमी, कृषि संकट और शासन की बाधाओं को लेकर चिंतित हैं। इसके बावजूद भाजपा समर्थक आशा देवी गर्भवती महिलाओं के लिए सैनी सरकार के कार्यक्रमों, मुफ्त राशन और आवास योजनाओं के बारे में अच्छा बोलती हैं। उन्होंने कहा, ”मैं चाहती हूं कि भाजपा सत्ता में लौटे। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि ऐसा हो।”
लेकिन जब आशा देवी से बेरोजगारी के बारे में पूछा जाता है तो वह चुप हो जाती है। जब वह महंगाई का जिक्र करती हैं तो उनके पति भी आ जाते हैं। आशा देवी कहती हैं, “चुनाव खत्म होते ही वे (भाजपा) कीमतें और बढ़ा देंगे, वे गैस सिलेंडर की कीमतें भी बढ़ा देंगे।” कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर कस्बे में बांस के पर्दे बेचने वाले आकाश कुमार और मंजू देवी पार्टी से नाखुश हैं क्योंकि पीएम आवास योजना के तहत घर पाने के लिए 2019 में 53,600 रुपये का भुगतान करने के बावजूद उन्हें पक्का घर नहीं मिला। उन्होंने कहा, “हमने एक निजी व्यक्ति से लोन लिया और मैंने पहले ही ब्याज में लगभग 1 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है। लेकिन जिस घर का हमसे वादा किया गया था, उसकी कोई खबर नहीं है।”
मंजू देवी की पड़ोसी इमली कहती हैं, ”भाजपा ने बहुत सारे वादे किए और हमें बेवकूफ बनाया। जिस भाजपा विधायक को हमारा वोट मिला, वह हमारी बात नहीं सुनता। अब हम उन्हें वोट नहीं देंगे।” तखाना निवासी जय किशन शर्मा कहते हैं कि भाजपा सरकार के “अंतिम समय के प्रयासों” के बावजूद युवा अभी भी विदेश जाना चाहते हैं। वह कहते हैं, ”हरियाणा के हर कस्बे में सड़कों के किनारे बने कोचिंग सेंटरों को देखें। राज्य भर में ये केंद्र तेजी से खुल गए हैं, जो छात्रों को अंग्रेजी परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण और वीजा इंटरव्यू की तैयारी के लिए आमंत्रित करते हैं।”