विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का असर संसद में महसूस किया जा रहा है। 2024 के आम चुनावों से पहले यह आखिरी फुल सेशन चल रहा है। डीएमके सांसद डीएनवी सेंथिलकुमार की गौमूत्र वाली टिपण्णी पर जिस तरीके का रिएक्शन बीजेपी सांसदों की ओर से आया वह यही दर्शाता है। बुधवार को शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही भाजपा सांसद डीएमके के सेंथिलकुमार से ‘माफी मांगो’ की मांग कर रहे थे।
प्रश्नकाल के दौरान पीडीएस के बारे में सवालों के जवाब में ट्रेजरी बेंच ने विपक्ष पर ‘गरीब विरोधी’ होने का आरोप लगाया। इसके अलावा वरिष्ठ मंत्री उत्तर-दक्षिण विभाजन की बात करके देश को विभाजित करने के प्रयासों की निंदा करने के लिए एकजुट हुए। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर बहस में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर ‘एक ऐतिहासिक भूल’ करने का आरोप लगाया।
प्रश्नकाल के दौरान हंगामा तब शुरू हुआ जब कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने पीडीएस के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और इसके लिए शिकायत निवारण तंत्र पर सवाल उठाया। इसके बाद उपभोक्ता मामले-खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने गरीबों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की प्रशंसा करते हुए जवाब दिया।
जब कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने आपत्ति जताई, तो पीयूष गोयल ने पलटवार किया, “क्या आपको गरीबों को मुफ्त राशन मिलने से कोई समस्या है? ऐसा लगता है कि विपक्षी नेता को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 81 करोड़ गरीबों को मुफ्त भोजन बांटने से दिक्कत है? यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है। कर्नाटक में उन्होंने चावल का झूठा वादा किया। हम इस देश में लोगों को नहीं बांटते। लेकिन उनमें से कुछ उत्तर-दक्षिण विभाजन पैदा करते हैं, कुछ लोगों को जाति के आधार पर विभाजित करते हैं।”
जब लोकसभा में डीएमके नेता टी आर बालू स्मार्ट पीडीएस योजना के तहत हार्डवेयर की खरीद पर प्रश्न उठाने के लिए खड़े हुए, तो भाजपा नेता खड़े हो गए और मांग करने लगे कि पहले वह पिछले दिन सदन में साथी पार्टी सांसद सेंथिलकुमार की टिप्पणियों के लिए माफी मांगें।
पीयूष गोयल के साथ संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी विपक्षी नेताओं पर ‘उत्तर-दक्षिण विभाजन की बात करके देश को विभाजित करने’ का आरोप लगाया। जैसे ही डीएमके और कांग्रेस के सांसद विरोध करने के लिए खड़े हुए पीयूष गोयल ने किसी साथी सदस्य को सीधे संबोधित न करने के अध्यक्ष ओम बिरला के निर्देश की अनदेखी करते हुए अपना संबोधन जारी रखा। पीयूष गोयल ने कहा, “उन्हें (बालू) पहले माफी मांगनी चाहिए। वह उनके नेता हैं। ऐसे कैसे चलेगा सदन? इस सदन में कोई भी व्यक्ति कुछ भी कैसे कह सकता है और बच सकता है?
बाद में टीआर बालू को यह कहते हुए सुना गया, “आप एक वरिष्ठ मंत्री हैं, आपको संसद में मुद्दे नहीं बनाने चाहिए।” उन्होंने कहा, “आपको संकट नहीं, संकटमोचक बनना चाहिए।” विपक्षी सदस्य आगे की ओर दौड़े और ट्रेजरी बेंच पर चिल्लाने लगे, जबकि बालू अपना सवाल नहीं उठा सके। अंततः कार्यवाही स्थगित कर दी गई और सेंथिलकुमार ने बाद में टिप्पणी के लिए माफी मांगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा के लिए पिछली कांग्रेस सरकारों को भी जिम्मेदार ठहराया। अमित शाह ने कहा, “अगर वोट बैंक की राजनीति पर विचार किए बिना आतंकवाद से शुरुआत में ही निपट लिया गया होता तो कश्मीरी पंडितों को घाटी नहीं छोड़नी पड़ती। जम्मू-कश्मीर को प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा की गई दो भूलों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है – पहला, युद्धविराम की घोषणा करना, और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना।”
बाद में अमित शाह ने ओबीसी जाति जनगणना के प्रयास और जाति के मुद्दों को उठाने के लिए कांग्रेस पर कटाक्ष किया। अमित शाह ने कहा, कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया जबकि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछड़े वर्ग को न्याय दिलाने और जम्मू-कश्मीर में शांति लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि मोदी सरकार 2024 में सत्ता में लौटेगी और 2026 तक मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर में कोई आतंकी घटना नहीं होगी।”