Jammu Kashmir Article 370: जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में राज्य से आर्टिकल 370 के सभी खंड हटाने का ऐलान कर दिया है। बीते कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर में जिस तरह की हलचल दिखाई दे रही थी, उसे देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार कश्मीर में कुछ बड़ा करने जा रही है। हालांकि आर्टिकल 370 में इतने बड़े बदलाव के बारे में किसी ने शायद ही सोचा था।

हालांकि पता चला है कि सरकार इसकी लंबे समय से तैयारी कर रही थी। हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, बीती 5 जुलाई को ही इसकी भूमिका बननी शुरू हो गई थी। दरअसल 5 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय खूफिया एजेंसी रॉ के मुखिया सामंत गोयल को पीएमओ बुलाया था। खबर के अनुसार, इस दौरान कश्मीर मुद्दे और जियो-पॉलिटिकल स्थिति पर चर्चा हुई।

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अफगानिस्तान से अमेरिका का जाना बड़ी वजहः खबर के अनुसार, इस बैठक में इस पर बात हुई कि किस तरह से अमेरिका जल्द से जल्द अफगानिस्तान से निकलना चाहता है और वहां पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ने की आशंका है। साथ ही अमेरिका, पाकिस्तान को आर्थिक और सामरिक मदद देना भी जल्द शुरू कर सकता है। जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में कर सकता था।

इससे पहले भाजपा की टॉप लीगल टीम ने भी आर्टिकल 370 के मुद्दे पर चर्चा की थी और इस हटाने की संभावनाओं पर बात की थी। इसके साथ ही आरएसएस भी जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के पक्ष में था। बहरहाल इसकी शुरुआत बीती 26 जून को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जम्मू कश्मीर यात्रा से हुई।

हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने आर्टिकल 370 हटाने की स्थिति में घाटी में हिंसा की भी आशंका जतायी थी, लेकिन सरकार ने रॉ चीफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की सहमति के बाद इस दिशा में कदम आगे बढ़ाया।

NSA ने की तैयारी: अजीत डोभाल ने इस संदर्भ में बीती 24 जुलाई को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और खूफिया एजेंसियों के प्रमुखों से भी मुलाकात की थी। अभी यह साफ नहीं है कि अंतिम फैसला कब लिया गया। बीत हफ्ते गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के लिए 2000 सैटेलाइट फोन भेजे, ताकि फोन और इंटरनेट बंद होने की स्थिति में अधिकारियों से संपर्क किया जा सके।

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इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में बीते 10 दिनों के दौरान पैरामिलिट्री फोर्स की 350 कंपनियां यानि कि करीब 35,000 जवान भी भेजे गए। जुलाई के अंतिम सप्ताह में नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने ड्रोन्स के जरिए भीड़ को नियंत्रित करने संबंधी रणनीति पर काम किया।

सरकार को थी आशंकाः 4 अगस्त की शाम को अमित शाह ने रॉ चीफ सामंत गोयल और आईबी चीफ से मुलाकात कर उन्हें तैयार रहने को कहा गया। विदेश मंत्री सुब्रमण्यन जयशंकर को भी इसके बारे में जानकारी दी गई, ताकि आर्टिकल 370 हटाने के बाद वह डिप्लोमैटिक स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय दबाव से निपट सकें।

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सरकार को आशंका थी कि पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी इसकी जानकारी होने पर घाटी में राजनेताओं के निशाना बना सकती है, यही वजह है कि सरकार ने सभी बड़े राजनेताओं को नजरबंद रखने का आदेश दिया और जम्मू कश्मीर में धारा 144 लागू कर कुछ जगहों पर कर्फ्यू भी लगा दिया गया।