Gujarat Politics: बीजेपी के गढ़ गुजरात में हाल ही में निकाय चुनाव हुए थे, जिनके नतीजे 17 फरवरी को आए। इन नतीजों में एक बार फिर साफ हो गया कि गुजरात में बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दल यानी को कांग्रेस को खास रणनीति पर काम करना होगा। बीजेपी नगर पालिकाओं से लेकर नगर निगमों और जिला और तालुकाओं की पंचायतों की 2171 सीटों में से 1608 सीटें जीतीं हैं।

गुजरात के निकाय चुनाव के नतीजों में एक खास बात मुस्लिम प्रत्याशियों की जीत को लेकर भी है, क्योंकि बीजेपी के टिकट पर 66 नगर पालिकाओं में खड़े हुए मुस्लिम प्रत्याशियों की भी जीत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।

इस बार जीते रिकॉर्ड मुस्लिम प्रत्याशी

पिछले निकाय चुनाव यानी 2018 के रिकॉर्ड्स को देखें तो 2018 में तो बीजेपी के टिकट पर जीतने वाले मुस्लिम प्रत्याशियों का आंकड़ा महज 46 था लेकिन इस बार यह आंकड़ा 76 तक पहुंच गया है। अहम बात यह है कि पिछले चुनाव में 76 नगरपालिकाओं में वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार अभी तक 66 पर ही वोटिंग हुई है। बीजेपी ने अलग-अलग सीटों पर 103 सीटों पर मुस्लिमों को वोट दिया था।

नगर पालिकाओं में चुने गए मुसलमानों की संख्या भी 2018 में 252 थी, जो कि अब बढ़कर 275 हो गई है। इसमें कांग्रेस का हिस्सा सबसे बड़ा 39 प्रतिशत का है, जबकि बीजेपी का 28 प्रतिशत शेयर है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी 4.7% पर है। आप के 13 मुस्लिम विजेता थे, जिनमें जामनगर की सलाया नगरपालिका में 11 शामिल थे, जहां BJP एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

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‘मुस्लिमों को मिल रहा योजनाओं का लाभ’

बीजेपी के राज्य अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष मोहसिन लोखंडवाला ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि गुजरात के मुसलमानों ने कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ BJP की विकास की राजनीति को अपनाने का मन बना लिया है। राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं से मुस्लिम समुदाय को लाभ मिला है। हम मुसलमानों को लगता है कि BJP हमारे साथ भेदभाव नहीं करती और हमें योजनाओं का लाभ दिल से देती है।

कांग्रेस से बीजेपी की ओर जा रहे मुस्लिम?

बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी के सक्रिय सदस्य मुसलमानों ने मांग की है कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया जाए। हमने 150 मुस्लिम कार्यकर्ताओं और नेताओं की सूची सौंपी, जिन्होंने इसमें रुचि दिखाई। राज्य इकाई ने निर्वाचित विधायकों, सांसदों और स्थानीय नेताओं के साथ सूची पर चर्चा की और उनमें से 103 को चुना। यह जीत केवल यह दिखाती है कि मुसलमान कांग्रेस से बीजेपी की ओर जा रहे हैं। हम राज्य बीजेपी नेतृत्व के भी आभारी हैं जिन्होंने इन नेताओं पर भरोसा दिखाया और उन्हें टिकट दिया।

पिछले चुनाव की तुलना में, खेड़ा जिले की तीन नगरपालिकाओं में 9 नई सीटों पर BJP के मुस्लिम पार्षद जीते हैं। इसी तरह पाटन के राधनपुर जिले में 5, जूनागढ़ की वनथली नगरपालिका में 6 और पंचमहल जिले की दो नगरपालिकाओं में 5 मुस्लिम प्रत्याशी शामिल है। बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवारों ने गिर सोमनाथ और जामनगर के तटीय जिलों में भी जीत हासिल की।

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कांग्रेस को मिले नुकसान पर क्या बोले कांग्रेस विधायक?

राज्य में कांग्रेस ने 2018 में 2064 नगरपालिका सीटों में से 632 सीटें जीती थीं लेकिन उसकी संख्या घटकर 252 रह गई है। इसके मुस्लिम विजेताओं की संख्या भी 133 से घटकर 109 हो गई है। गुजरात विधानसभा में एकमात्र मुस्लिम विधायक इमरान खेड़ावाला ने दावा किया कि हमारे कई उम्मीदवार कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़े और निर्दलीय के रूप में जीते, उनकी प्राथमिकता अपने क्षेत्रों में काम करवाना है।

क्यों मिल रहा BJP को वोट?

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर घनश्याम शाह ने अपनी किताब इंडियाज 2014 इलेक्शन्स – ए मोदी-लेड बीजेपी स्वीप के एक अध्याय में लिखा है कि कैसे सलाया नगरपालिका ने बुनियादी ढांचे के विकास में उपेक्षा का अनुभव किया था। उन्होंने कहा कि 2007 के विधानसभा चुनावों के बाद कुछ मुस्लिम नेता बीजेपी में चले गए। 2008 में पहली बार चार मुसलमानों ने बीजेपी के लिए नगर निगम चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ​​फिर, शहर को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्य सरकार से धन मिलना शुरू हुआ।

उन्होंने कहा कि इस तरह के ठोस लाभों ने अन्य मुसलमानों को पार्टी में शामिल होने के लिए राजी कर लिया। 2013 में, BJP ने 27 में से 24 नगरपालिका सीटें जीतीं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए यह अस्तित्व का सवाल है। गुजरात से संबंधित अन्य सभी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।