BJP Donation: बीजेपी को पिछले कई सालों से रिकॉर्ड डोनेशन मिल रहा है। जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, डोनेशन का आंकड़ा बढ़ता गया है। अब सोमवार को चुनाव आयोग की तरफ से जो रिपोर्ट छापी गई है, उसके मुताबिक भारतीय जनता पार्टी का डोनेशन निर्णायक रूप से बढ़ गया है। अगर 2022-2023 में बीजेपी को 2120.06 करोड़ का चंदा मिला था तो यह आंकड़ा अगले साल बढ़कर 3967.14 करोड़ तक जा पहुंचा।

बीजेपी को कितना चंदा मिला है?

यहां भी समझने वाली बात यह है कि बीजेपी को इलेक्टोरल बांड के जरिए 1685.62 करोड़ रुपए मिले हैं। दूसरे शब्दों में बोलें तो बीजेपी को जो अपना कुल चंदा मिला है, उसमें से 43% तो इलेक्टोरल बांड के जरिए मिला है। पिछले साल इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए भाजपा को 1294.14 करोड़ रुपए का चंदा मिला था, यानी कि इस साल निर्णायक बढ़ोतरी देखने को मिली है। पिछले साल क्योंकि लोकसभा चुनाव भी हुए थे, ऐसे में उम्मीद के मुताबिक बीजेपी का खर्चा भी उतना ही बढ़ गया। इलेक्शन के दौरान भाजपा ने 1092.15 करोड़ रुपए खर्च किए, यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा रहा। विज्ञापनों पर भाजपा ने 591.39 करोड़ रुपए खर्च कर डालें।

कांग्रेस और ममता को कितना पैसा मिला?

अब कांग्रेस को वैसे तो बीजेपी की तुलना में काफी कम चंदा मिला है, लेकिन फिर भी 2022-23 के मुकाबले उसके डोनेशन में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है। आंकड़ों में बात करें तो देश की सबसे पुरानी पार्टी के डोनेशन में 320 फीसदी का उछाल आया है। ममता बनर्जी की टीएमसी की बात करें तो पार्टी की इनकम में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। 2022-23 में जो आंकड़ा 333.46 करोड़ था, 2023 24 में वो बढ़कर 646.39 करोड़ तक जा पहुंचा, यानी कि टीएमसी को इलेक्टोरल बांड के जरिए 95 फीसदी के करीब चंदा मिला है।

इलेक्टोरल बॉन्ड क्यों चर्चा में?

जानकारी के लिए बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है, ऐसे में पिछले साल जो चंदा पार्टियों को इस योजना के तहत मिला है, अब उस पर रोक लग चुकी है। बीजेपी तो दावा करती है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की वजह से चुनावी चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है, लेकिन विपक्ष से भेदभाव वाला गेम मानता है। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जनसत्ता की अगर इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें