कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई। उसके बाद से पार्टी आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव है और इन चारों ही राज्यों में बीजेपी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहेगी, ताकि लोकसभा चुनाव से पहले परसेप्शन वार जीता जा सके।

माना जा रहा है कि अगर बीजेपी इन चारों ही राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रहती है, तो इसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। चार राज्यों में से सिर्फ मध्य प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शासन है जबकि तेलंगाना में बीआरएस सत्ता में है। भाजपा के लिए जबरदस्त प्रदर्शन का मतलब होगा मध्य प्रदेश को बरकरार रखना, कांग्रेस शासित दो राज्यों में से कम से कम एक में जीत हासिल करना। वहीं तेलंगाना में गृह मंत्री अमित शाह के ‘मिशन 70’ को हासिल करना या फिर खुद को एक मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित करना।

तेलंगाना में बीजेपी के लिए कौन साबित होगा तुरुप का एक्का?

बीजेपी ने तेलंगाना में आरएसएस के Blue Eyed Boy बंदी संजय को भाजपा अध्यक्ष पद से हटाकर केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी को नियुक्त किया है लेकिन भाजपा का तुरुप का इक्का कोई और ही नजर आ रहा है। ऐसे राज्य में जहां बीजेपी ने बार-बार हिंदुत्व कार्ड खेलने कोशिश की है, उसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह तेलंगाना की स्थानीय भावनाओं से कितनी अच्छी तरह जुड़ती है, जिसकी जड़ें तेलंगाना के निर्माण के आंदोलन में हैं। टीआरएस के पूर्व शीर्ष नेता और के.चंद्रशेखर राव के सहयोगी एटाला राजेंदर से बेहतर बीजेपी के लिए कौन हो सकता है, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं।

मध्य प्रदेश में बीजेपी चल सकती है ये चाल

बीजेपी ने 2020 में कर्नाटक में फिर से सरकार बनाई और कांग्रेस की सरकार गिरा दी। एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बने। लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव में लगभग सभी ओपिनियन पोल करीबी मुकाबले की भविष्यवाणी कर रहे हैं। अगर बीजेपी को मध्यप्रदेश में अपनी रणनीति और मजबूत करनी है तो सबसे पहले उसे अपने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को हटाना होगा।

हाल ही में मध्य प्रदेश में 13 पदों के लिए लोकल बॉडी चुनाव हुए और इसमें सात भाजपा ने और छह कांग्रेस ने जीते। हालाँकि मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय उपचुनावों में छिंदवाड़ा (कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ के निर्वाचन क्षेत्र) में एक वार्ड की जीत से भाजपा खेमे में ख़ुशी की लहर है।

राजस्थान में सीएम चेहरा काफी महत्वपूर्ण

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी सत्ता में तो है लेकिन उसे सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा पार्टी की अंदरूनी कलह भी उसके लिए मुसीबत बनती जा रही है। गहलोत बनाम पायलट की कहानी इतनी पुरानी हो गई है कि अब यह टीवी न्यूज़ चैनलों की सुर्खियों में नहीं आती है। लेकिन इसके बावजूद भाजपा तब तक जीतने की स्थिति में नहीं है जब तक वह पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं कर देती। वसुंधरा राजे प्रदेश में इतनी ताकतवर हैं कि ज्यादातर विधायक उनके पक्ष में है और वह गृह मंत्री अमित शाह के भी एक फैसले का 2018 में विरोध कर चुकी हैं।

यदि भाजपा वास्तव में कांग्रेस की अंदरूनी कलह और सत्ता-विरोधी लहर का फायदा उठाना चाहती है, तो उसे वसुंधरा राजे को एक ऐसे राज्य के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश करने की जरूरत है, जहां राजघराने के प्रति वफादारी अभी भी आदर्श है।

छत्तीसगढ़ में नेतृत्व संकट?

छत्तीसगढ़ बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल राज्य लग रहा है। सभी ओपिनियन पोल में बीजेपी हारती हुई दिख रही है लेकिन बीजेपी छत्तीसगढ़ में भी अपनी उपस्थिति को और मजबूत कर सकती है। इसके लिए वहां पर उसे एक ऐसे सीएम चेहरे की जरूरत है जो जमीन पर मौजूद हो। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के संबंध में भाजपा के लिए सबसे अहम सवाल यह है कि उसका नेतृत्व कौन कर रहा है?

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह फिलहाल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं जो सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं और जमीन पर कम ही नजर आते हैं। वहीं उनकी मंडली भी गायब हो गई है। जबकि नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल उतने लोकप्रिय नहीं हैं और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा संबंध नहीं बनाया है जो उन्हें जन नेता बना सके। हालांकि दोनों नेता ओबीसी हैं। ऐसा लगता है कि बीजेपी के दिमाग में एक और ओबीसी नेता है जिसने बीजेपी की खुशी के लिए जमीन के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रियता हासिल की है। ओपी चौधरी एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं जो अभी राज्य के महासचिव के रूप में कार्यरत हैं। युवा, साफ़ छवि वाले और कार्यकर्ताओं के बीच अपेक्षाकृत लोकप्रिय ओपी चौधरी भाजपा के लिए सबसे अच्छा दांव हैं।