लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। वह बिहार में देश के कई विपक्षी दलों की बैठक भी आयोजित कर चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी नीतीश कुमार की जड़ों को कमजोर करने के लिए रणनीति बनाती दिखाई दे रही हैं। इसी कड़ी में बीजेपी के सीनियर नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के नेता नागमणि से मुलाकात की है।

दरअसल बीजेपी नीतीश कुमार को घेरने के लिए उनके लव-कुश यानी कुर्मी-कोइरी समीकरण में भी बंटवारा करने की कोशिश में है। इसी वजह से बीजेपी लव-कुश जाति के मतदाताओं को रिझाने में लगी है। इसी सिलसिले में अमित शाह ने पूर्व मंत्री और बिहार के नेता नागमणि से सोमवार को नई दिल्ली में मुलाकात की थी। नागमणि ने पिछले साल शोषित इंकलाब पार्टी नाम से अपना नया दल बनाया था।

क्यों महत्वपूर्ण है कुशवाहा समुदाय?

संख्या के लिहाज से राज्य में कुशवाहा समुदाय यादव के बाद सबसे अधिक है। यह कुर्मी समुदाय में ही आता है। इस समुदाय तक पहुंचने के लिए हाल ही में भाजपा ने सम्राट चौधरी को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। नागमणि खुद कुशवाहा समुदाय से आते हैं। उनके पिता जगदेव प्रसाद राज्य के बड़े नेता थे। 49 साल पहले 1974 में एक विरोध मार्च के दौरान उनके पिता की कथित तौर पर पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी। राज्य के कुछ हिस्सों में पिता के नाम पर उनकी अच्छी पकड़ है। गृहमंत्री से मुलाकात के दौरान नागमणि ने घटना की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की।

भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात के दौरान राज्य की राजनीतिक स्थिति में जातीय समीकरण और गठबंधन को लेकर चर्चा हुई। बाद में नागमणि ने मीडिया से कहा कि भाजपा को क्षेत्रीय दलों को जगह देकर राज्य में एक बड़ा गठबंधन बनाना चाहिए। इससे विपक्ष के महागठबंधन से मुकाबला करने में सहूलियत होगी। बिहार एक बड़ा राज्य है और यहां से 40 सांसद लोकसभा में पहुंचते हैं। उन्होंने साफ किया कि उनकी शोषित इंकलाब पार्टी जल्द ही केंद्र की सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए का हिस्सा बनेगी।

इसके साथ ही पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा को अपनी ओर मिलाने की कोशिश में लग गई है। उपेंद्र कुशवाहा जदयू-आरजेडी का साथ छोड़ चुके हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा और नागमणि के एनडीए में आने से बिहार में नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ेगा। भाजपा ने इससे पहले हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) के नेता जीतन राम मांझी को जदयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन से अलग कर अपनी तरफ मिला लिया था।