Jammu and Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों- पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के अलावा कांग्रेस और बीजेपी की भी सियासी ताकत की परीक्षा होनी है। परिसीमन के बाद हो रहे पहले विधानसभा चुनाव में जम्मू में 43 सीटें बनी हैं जबकि कश्मीर में 47। राज्य में जब 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे तब जम्मू में 37 सीटें थी और बीजेपी ने इसमें से 25 सीटें जीत ली थी। इससे पता चलता है कि बीजेपी जम्मू में काफी मजबूत है।

जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का पूरा जोर जम्मू पर ही है। कश्मीर में पार्टी ने 47 में से सिर्फ 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि अगर वह जम्मू में बढ़त बनाने में कामयाब रही तो राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। बताना होगा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों का समर्थन चाहिए।

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बडगाम जिले के बीरवाह क्षेत्र में रोड शो के दौरान शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद। (Source- PTI

चुनाव अभियान की शुरुआत में जम्मू में बीजेपी कमजोर दिख रही थी। यहां प्रॉपर्टी टैक्स और टोल प्लाजा को लेकर लोगों में नाराजगी थी। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जिस तरह के फायदे होने के वादे किए गए थे- जैसे नौकरी और निवेश, वैसा भी कुछ नहीं हुआ। इसके अलावा टिकट बंटवारे के बाद भी बीजेपी में बड़े पैमाने पर बगावत देखने को मिली।

चुनाव प्रचार के मौजूदा हालात में ऐसा लगता है कि जम्मू में कांग्रेस अपनी बढ़त को गंवा रही है जबकि बीजेपी ने आक्रामक चुनाव अभियान चलाकर अपनी स्थिति मजबूत की है।

कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस के बीच दोस्ताना मुकाबला

कांग्रेस को नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन के बाद जो 32 सीटें मिली हैं, उसमें से 29 सीटों पर वह जम्मू में चुनाव लड़ रही है। इनमें से चार सीटें ऐसी हैं जहां पर नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। जबकि कश्मीर में 9 सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस के बीच दोस्ताना मुकाबला है।

जम्मू यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर हरिओम कहते हैं कि बीजेपी यहां पर 2014 का चुनावी प्रदर्शन भी दोहरा सकती है।

उम्मीदवारों के चयन में गलती

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पार्टी ने उम्मीदवारों का चयन करते वक्त जातिगत समीकरण में गलतियां की हैं। हालांकि बाद में उसने इन गलतियों को समझा और एमके भारद्वाज और भानु महाजन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया। प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी कश्मीर के रहने वाले तारिक़ अहमद कर्रा को दी और जम्मू से ताराचंद और रमन भल्ला को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया। ऐसा करके पार्टी ने क्षेत्रीय संतुलन भी साधा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि कुछ जगहों पर गलत उम्मीदवारों को टिकट दे दिया गया। कुछ ऐसी सीटें- आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण और बाहु में भी उम्मीदवारों के चयन पर सवाल उठाए गए हैं। परिसीमन के बाद बनी नई सीट श्री माता वैष्णो देवी में भूपेंद्र जमवाल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं लेकिन इससे पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।

बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस का चुनाव प्रचार कमजोर

कांग्रेस के नेता मानते हैं कि पार्टी के बड़े नेता जम्मू की 43 सीटों को कवर नहीं कर सके जबकि बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक ने 30 से ज्यादा रैलियां की हैं और अभी एक चरण का चुनाव बाकी है।

प्रियंका चुनाव प्रचार में आएंगी या नहीं?

कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि पार्टी की यहां पर जो बढ़त थी, वह उसका फायदा नहीं उठा सकी। एक कांग्रेसी नेता ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा की रैलियों की मांग बहुत है लेकिन वह कब प्रचार करेंगी, इसे लेकर कोई पता नहीं है।

नेशनल कांफ्रेंस के एक नेता भी जम्मू में कांग्रेस के चुनाव प्रचार को लेकर चिंतित हैं जबकि कांग्रेस की ओर से जम्मू-कश्मीर मामलों के प्रभारी भरत सिंह सोलंकी कहते हैं कि कांग्रेस का प्रचार अच्छा चल रहा है।

बीजेपी नेता कहते हैं कि कांग्रेस यहां ‘हार के मोड’ में है। उनका कहना है कि कांग्रेस के लोग जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने की बात कर रहे हैं लेकिन इसे लेकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह संसद में पहले ही आश्वासन दे चुके हैं।