Bihar SIR: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से संबंधित याचिकाओं पर सोमवार (1 सितंबर) को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, ताकि दावे और आपत्तियां दायर करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग करने वाले आवेदनों पर विचार किया जा सके।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिसल जयमाल्या बागची की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा तत्काल उल्लेख किए जाने के बाद मामले को सोमवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। भूषण ने बताया कि राष्ट्रीय जनता दल और कुछ अन्य दलों ने मसौदा मतदाता सूची के संबंध में दावे और आपत्तियां दर्ज करने की 1 सितंबर की समय सीमा बढ़ाने के लिए आवेदन दायर किए हैं।

राजद की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश से पहले लगभग 80,000 दावे दायर किए गए थे, और निर्देश के बाद 95,000 और दावे दायर किए गए। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान हटाए गए मतदाताओं के नामों को सही करने में राजनीतिक दलों की भागीदारी की कमी पर चिंता व्यक्त की थी।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि दावा प्रपत्र आधार कार्ड या किसी अन्य स्वीकार्य दस्तावेज़ के साथ जमा किए जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि हम बिहार एसआईआर के लिए आधार कार्ड या किसी अन्य स्वीकार्य दस्तावेज़ के साथ हटाए गए मतदाताओं के दावे ऑनलाइन जमा करने की अनुमति देंगे।

पीठ ने कहा कि सभी राजनीतिक दल अगली सुनवाई की तारीख तक उस दावा प्रपत्र पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे, जिसे दाखिल करने में उन्होंने बहिष्कृत मतदाताओं की मदद की थी।

सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि चल रहे पुनरीक्षण अभियान में 85,000 नए मतदाता जोड़े गए हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के बूथ-स्तरीय एजेंटों द्वारा केवल दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं।

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ये याचिकाएं राजद सांसद मनोज झा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), पीयूसीएल, कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और बिहार के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम द्वारा दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग के 24 जून के उस निर्देश को रद्द करने की मांग की है, जिसके तहत बिहार में बड़ी संख्या में मतदाताओं को मतदाता सूची में बने रहने के लिए नागरिकता का प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

इससे पहले क्या हुआ था?

14 अगस्त को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर अपलोड कर दिया था।

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