आंतरिक कलह से जूझ रहे राजग के सहयोगी दलों – लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) व राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) में चुनाव के पहले ही भीतरी टकराव शुरू हो गया है। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है। जबकि अपना टिकट कट जाने से नाराज इस दल के एक नेता ने 40 लाख रुपए खर्च कर देने के बाद भी टिकट न मिलने का आरोप लगाते हुए पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस में ही हंगामा खड़ा कर दिया।
अगले माह विधानसभा चुनाव का सामना करने जा रहे राजग में चौतरफा मार शुरू हो गई है। रालोसपा ने भाजपा पर उसे धोखे में रखने का आरोप लगाया है। मंगलवार को अपने 17 उम्मीदवारों की सूची जारी करने के मौके पर पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपने मतभेद उजागर करते हुए कहा कि उनकी पार्टी मीनापुर से चुनाव लड़ने को इच्छुक थी जहां से भाजपा के मौजूदा विधायक संभवत: चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
मुझे कहा गया था कि भाजपा विधायक वहां से चुनाव लड़ेंगे और अगर नहीं तो मेरी पार्टी के बारे में विचार किया जाएगा। लेकिन उन्होंने रविवार को विधायक के परिवार से जुड़े एक व्यक्ति के नाम की घोषणा कर दी जबकि मुझे अंधेरे में रखा गया। मैं इस बारे में अमित शाह जी से बात करूंगा।
पार्टी द्वारा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा किए जाने के दौरान उस समय हंगामा हो गया जब टिकट का एक दावेदार संवाददाता सम्मेलन में घुस आया और फूट फूट कर रोने लगा। उसका आरोप था कि उसे टिकट नहीं दिया गया। उसका दावा था कि टिकट पाने के लिए वह पार्टी नेताओं पर 40 लाख रुपए खर्च कर चुका है।
टिकट के दावेदार अशोक गुप्ता जमीन पर लोटकर जोर जोर से रोने लगे क्योंकि उन्हें टिकट नहीं दिया गया। गुप्ता ने कहा, ‘बाप रे बाप लूट लिया।’ गुप्ता को वहां से हटाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। गुप्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी को ‘पैसे दिए थे’ लेकिन इसके बावजूद उन्हें नरकटियागंज विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिया गया। गुप्ता ने यद्यपि बाद में स्पष्ट किया कि उन्होंने पार्टी को जो धनराशि देने का दावा किया था वह उन्होंने पार्टी को तब दिया था जब पार्टी का गठन किया गया था।
उधर पार्टी उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी करते हुए लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि राज्य में 12 अक्तूबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन का काम पूरा हो गया है। इस चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की तिथि बुधवार को समाप्त हो रही है। नौ उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ पार्टी अब तक 21 नाम घोषित कर चुकी है। पार्टी ने पिछले शुक्रवार को 12 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी। सीट बंटवारे के तहत लोजपा को 40 सीटें मिली हैं।
लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधू ने बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित किए जाने के खिलाफ गत शनिवार को बगावत का झंडा बुलंद कर दिया और राजग प्रत्याशियों को हराने के लिए सभी जिलों में दलित सेना के उम्मीदवारों को उतारने की घोषणा की। साधू औरंगाबाद जिले में सुरक्षित सीट कुटुंबा से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन वह सीट पूर्व मुख्यमंत्री और हम के संस्थापक जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन को आबंटित कर दी गई है।
साधू का कहना था कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया लेकिन रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस और लोजपा प्रमुख के एक अन्य भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज को टिकट दे दिया गया। साधु को रविवार को टेलीविजन पर रोते और आंसू पोछते हुए देखा गया था।
परिवार के सदस्य द्वारा बगावत किए जाने के बारे में पूछने पर चिराग पासवान ने कहा कि परिवार के बड़े लोगों द्वारा इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा। इस मुद्दे पर वे सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं करना चाहते। बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए पांच चरणों में चुनाव होगा जो 12 अक्तूबर से शुरू हो कर पांच नवंबर को समाप्त होगा।
राजग में सीटों के बंटवारे के मुताबिक भाजपा 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि उसकी सहयोगी लोजपा 40 सीटों पर, जीतन राम मांझी की ‘हम’ 20 सीटों पर और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। उसने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 17 उम्मीदवारों की घोषणा की और साफ किया कि उसके सभी उम्मीदवारों को टिकट पारिवारिक संपर्क के कारण नहीं दिए गए हैं। छह अन्य सीटों के लिए पार्टी अपने उम्मीदवारों की घोषणा अगले कुछ दिनों में करेगी।
राजग के अन्य घटक दलों पर परोक्ष कटाक्ष करते हुए रालोसपा के प्रधान महासचिव शिवराज सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार सामान्य कार्यकर्ता हैं और शीर्ष नेताओं से उनके कोई पारिवारिक संबंध या कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं हैं। उनकी यह टिप्पणी रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा द्वारा घोषित उम्मीदवारों के मद्देनजर आई है क्योंकि लोजपा के अनेक उम्मीदवार पासवान या पार्टी के अन्य बड़े नेताओं से जुड़े हुए हैं।