बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने राजग के घटक दलों के साथ सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है। भाजपा 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि उसकी सहयोगी रामविलास पासवान की लोजपा 40 सीटों पर, जीतन राम मांझी की ‘हम’ 20 सीटों पर और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मांझी के कुछ उम्मीदवार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। राज्य में 12 अक्तूबर से पांच चरणों में चुनाव होना है।

सीटों के बंटवारे को लेकर पिछले कुछ दिनों की गहन चर्चा के बाद सोमवार को पासवान, कुशवाहा और मांझी के साथ बैठे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि एकजुट राजग राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद और कांग्रेस के बिखरते गठबंधन के खिलाफ दो तिहाई बहुमत हासिल करने की ओर उन्मुख है। एकजुटता का संदेश देने का प्रयास करते हुए शाह ने दावा किया कि गठबंधन के दलों, विशेष तौर पर मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (एस) के बीच मनमुटाव अब पीछे छूट चुका है और सभी मतभेदों को दूर कर लिया गया है।

पासवान व मांझी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कोई विवाद नहीं है। कोई तनाव नहीं है। आप सभी के मुस्कराते चेहरे देख रहे हैं। मांझी की पार्टी के कुछ नेता भाजपा के चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे। मांझी पिछले कुछ दिनों से सीटों के बंटवारे को लेकर काफी मोलतोल कर रहे थे, जब समझा जाता है कि भाजपा ने उनकी पार्टी को 13 से 15 सीटें देने की पेशकश की थी। मांझी लगातार पासवान पर निशाना साध रहे थे और दावा कर रहे थे कि दलित मतदाताओं के बीच उनकी पैठ ज्यादा है।

एक भाजपा नेता ने कहा कि इस समय पार्टी मांझी को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी क्योंकि चुनाव के ऐन वक्त पर मांझी पार्टी की छवि खराब कर सकते थे। इस बीच सूत्रों ने बताया कि रामविलास पासवान इस समझौते से ‘पूरी तरह’ खुश नहीं है, हालांकि उनके बेटे व पार्टी नेता चिराग पासवान ने सीट बंटवारे पर सहमति जताई है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि भाजपा नेतृत्व पहले उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को 25 सीटें देने पर राजी था लेकिन मांझी को खुश करने के चक्कर में कुशवाहा से दो सीटों की ‘कुर्बानी’ देने को कहा गया। कुशवाहा से कहा गया है कि उन्हें इसके बदले में उचित ईनाम दिया जाएगा। कुशवाहा ने सीट समझौते पर हुई बहसबाजी पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने इतना ही कहा कि अब जब हम एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं तो यह सब पुरानी बातें हैं।

मांझी से जब यह पूछा गया कि उनके नाखुश होने के कारण सीटों के बंटवारे की अंतिम घोषणा में देरी हुई, तो ‘हम’ पार्टी के प्रमुख ने दावा किया कि सीटों की संख्या को लेकर कभी विवाद नहीं था और उनका इरादा यह था कि राजग जितनी अधिक संख्या में हो सके, जीतने योग्य उम्मीदवार खडेÞ करे। वहीं, भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री वादा कर रहे हैं कि लालू प्रसाद के साथ गठबंधन करके वे अपराध मुक्त शासन देंगे जबकि नीतीश कुमार स्वयं लालू कार्यकाल को जंगलराज बता चुके हैं।

उन्होंने दावा किया क एक तरफ मजबूरी में बना गठबंधन है और दूसरी तरह ऐसा गठबंधन है जहां विकास की समान विचारधारा है और एक तरह की केमिस्ट्री है। समय आ गया है कि बिहार के लोग विकास के लिए वोट दें। शाह ने कहा कि राजग आने वाले दिनों में अपने घोषणापत्र में विस्तार से अपने एजंडे के बारे में बताएगा। भाजपा की कें्रद्रीय चुनाव समिति की मंगलवार को बैठक हो रही है और पहले कुछ चरणों के लिए पार्टी के उम्मीदवारों के कई नामों की घोषणा की जा सकती है। राज्य में पांच चरणों में 12 अक्तूबर, 16 अक्तूबर, 28 अक्तूबर, 1 नवंबर और 5 नवंबर को चुनाव होने हैं।

चुनाव के बाद मंडलराज 2 की वापसी होने के राजद प्रमुख लालू प्रसाद के आकलन के बारे में पूछे जाने पर भाजपा प्रमुख ने कहा कि राजग में अधिक संख्या में मंडलवाले नेता (पिछड़े और कमजोर वर्ग के) हैं। उल्लेखनीय है कि मंडल के मुद्दे पर ही लालू प्रसाद पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तब के विकास के आंकड़े उद्धृत कर रहे थे जब भाजपा उनकी सरकार में शामिल थी, साथ ही दावा किया कि राज्य का विकास रुक गया है और अपराध बढ़ रहे हैं।

शाह ने कांग्रेस और लालू को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए नीतीश कुमार पर भ्रष्ट लोगों से गठजोड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया के समय में ही बिहार में गैर कांग्रेसवाद ने अपनी जड़ें जमा ली थीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के आह्वान को समर्थन देने से राज्य आगे बढेगा। जद (एकी) की उस चुटकी पर कि उसने मांझी को मुख्यमंत्री बनाया जबकि भाजपा ने उन्हें भिखारी बना दिया, अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी के आदर्श अलग है, साथ ही आरोप लगाया कि मांझी को देर रात कुमार की शह पर बिहार निवास से बाहर कर दिया गया।

शाह ने बिहार सरकार की उन दलीलों को खारिज कर दिया कि उनसे इसलिए जाने को कहा गया क्योंकि यह आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है और वह जरूरी भुगतान करके रह सकते थे। हिंदी पट्टी के इस महत्वपूर्ण राज्य में सत्ता में आने का विश्वास व्यक्त करते हुए शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर 17 वर्ष पुराने गठबंधन को तोड़कर भाजपा की पीठ में छुरा घोपने का आरोप लगाया और कांग्रेस व राजद के साथ गठजोड़ करने के लिए निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के भय के कारण महागठबंधन भाजपा पर आरोप लगा रहा है कि वही ओवैसी की पार्टी के राज्य में चुनाव लड़ने का निर्णय करने के लिए जिम्मेदार है। सभी लोग जानते हैं कि ओवैसी उनकी पार्टी (भाजपा) के बारे में भला नहीं सोचेंगे। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के असंतुष्ट होने और स्टार प्रचारकों में शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भाजपा के सभी कार्यकर्ता प्रचार करेंगे। पार्टी ने अभी आयोग को स्टार प्रचारकों की सूची नहीं सौंपी है। मुख्यमंत्री के बारे में चुनाव के बाद राजग के विधायक तय करेंगे। उन्होंने कहा कि राजग के घटकों में कोई मतभेद नहीं है।