Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सात नए मंत्रियों को शामिल किया गया है, जिनमें खास बात यह है कि सभी बीजेपी के कोटे से ही हैं। इससे सत्ता रूढ़ एनडीए गठबंधन में बेचैनी है, क्योंकि गठबंधन के एक धड़े का मानना है कि कैबिनेट विस्तार के जरिए विधानसभा चुनाव से पहल पावर बैलेंस काफी बिगड़ गया है।
दरअसल, सीएम नीतीश के नेतृत्व वाली जेडीयू के कुछ नेताओं का तर्क है कि मंत्रिमंडल विस्तार लंबे समय से लंबित था क्योंकि बीजेपी ने एक साल से अधिक समय से अपने हिस्से के मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को नहीं भरा था, वहीं पार्टी के अन्य लोगों ने बताया कि JDU के वोट बैंक मानी जाने वाली जाति से आने वाले विधायकों को मंत्री बनाना जेडीयू को पसंद नहीं आया है।
बीजेपी ने जातियों को ध्यान में रखकर बनाए मंत्री
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह कैबिनेट विस्तार ऐसे वक्त में हुआ जब जेडीयू विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है। बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि यह सीट बंटवारे पर चर्चा और रणनीति योजना से पहले पार्टी की श्रेष्ठता को मजबूत करने का एक कदम था। इस विस्तार में अगड़ी जातियों यानी राजपूत, भूमिहार और वैश्य से तीन मंत्री शामिल किए गए हैं, जबकि अन्य ओबीसी और ईबीसी से एक-एक मंत्री शामिल किया गया है। इसे बीजेपी द्वारा अपने राज्य नेतृत्व में जाति संतुलन बनाने के प्रयास के रूप में पेश किया जा रहा है।
नए मंत्रियों की जाति की बात करें, तो कृष्ण विजय कुमार मंडल (केवट), मोती लाल प्रसाद (तेली), जिबेश कुमार (भूमिहार), संजय सरावगी (वैश्य) और राजू कुमार सिंह (राजपूत), कुमार मंटू (कुर्मी) और सुनील कुमार (कुशवाहा) हैं। हालांकि, कुर्मी और कुशवाहा समुदायों से मंत्रियों को शामिल किए जाने से JDU में कई लोग आश्चर्यचकित हैं। इसकी वजह यह है कि इसे जेडीयू का एक अहम वोट बैंक माना जाता है।
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BJP टारगेट कर रही नीतीश का वोट बैंक?
एनडीए गठबंधन के एक सूत्र ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला थोड़ा जल्दबाजी में लिया गया, हालांकि बीजेपी ने कुछ समय के लिए अपने पद खाली रखे थे। इससे गठबंधन में कई लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी उन समुदायों से दो नेताओं को क्यों शामिल करना चाहती है जो नीतीश कुमार की ताकत हैं।
बीजेपी के सूत्रों सूत्रों ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में सूरजकुंड में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में तय किया गया था कि मंत्रिमंडल के पदों को जल्द ही भरा जाएगा। पार्टी के एक नेता ने कहा कि लेकिन किसी तरह इसमें देरी होती रही।
JDU ने इस घटनाक्रम पर क्या कहा?
इस मामले को स्पष्ट करने के लिए JDU के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सबसे पहले, ये सभी विभाग बीजेपी के मंत्रियों के लिए थे। बीजेपी नेतृत्व तय कर सकता है कि किसे मंत्री बनाया जाए। हम इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि वह BJP किसी खास जाति से मंत्री न बनाए। हमारे कैबिनेट मंत्री ललन सिंह भूमिहार हैं और यही बीजेपी का समर्थन आधार है। इस सरकार के आने के बाद से हमारा कोटा पूरा हो गया है।
गठबंधन के बड़े सहयोगी यानी बीजेपी के पास अब 21 मंत्री हैं, इसके बाद जेडीयू के पास 13, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के पास एक और एक स्वतंत्र मंत्री हैं। हालांकि जेडी(यू) सूत्रों ने कहा कि बीजेपी के मंत्रियों को शामिल करने के फैसले से अब गठबंधन में “आशंकाएं” पैदा हो गई हैं। एक नेता ने कहा कि चूंकि गठबंधन पर हावी होने की BJP की कोई भी कोशिश पार्टी में डर पैदा कर सकती है, क्योंकि नीतीश कुमार भी दूसरे शिंदे नहीं बनना चाहते हैं।
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जेडीयू नेता का इशारा शिवसेना के एकनाथ शिंदे की ओर था, जिन्हें पिछले नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में राज्य की 288 सीटों में से 132 सीटों के साथ BJP के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद महाराष्ट्र में BJP के चेहरे देवेंद्र फड़नवीस के पक्ष में सीएम पद से हटा दिया गया था।
नीतीश के खेमे को किस बात का है डर?
JDU के एक धड़े को डर है कि अगर दोनों महत्वपूर्ण संख्या में सीटें जीतने में कामयाब हो जाते हैं, तो BJP एक अन्य सहयोगी, चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को साथ रखकर पार्टी को दरकिनार कर सकती है। हालांकि, चिराग ने खुद एनडीए गठबंधन के बरकरार रहने की जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा KF यह एक विजयी गठबंधन है और हम कम से कम 225 सीटें (कुल 243 में से) जीत सकते हैं।
गठबंधन को बरकरार रखने की बात करते हुए नेताओं ने कहा कि पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसे सभी जाति समूहों से समर्थन मिले। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गठबंधन आगामी चुनावों में नीतीश को ही अपना सीएम उम्मीदवार बनाए रखेगा। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार गठबंधन के नेता हैं और 2025 के चुनाव में वे ही इसका चेहरा होंगे। यह समझ थी और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
जेडीयू नेता ने कहा कि आरजेडी के साथ हमारे गठबंधन में सीएम (नीतीश) ने घोषणा की थी कि तेजस्वी यादव चेहरा होंगे। अब ऐसा नहीं है। एनडीए के चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार ही सीएम होंगे। उन्हें कब तक पद पर बने रहना है, यह फैसला उन्हें ही लेना है। बिहार की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।