बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य सम्राट चौधरी रविवार को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया। इससे उनके राज्य का डिप्टी सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है। पिछले साल मार्च में बिहार विधान परिषद में विपक्ष के तत्कालीन नेता (LOP) को बीजेपी ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। पार्टी ने कुशवाहा ओबीसी नेता चौधरी (54) को 2025 के विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। चौधरी उन कुछ बीजेपी नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने नियमित रूप से नीतीश कुमार का मुकाबला किया है। उन्होंने नीतीश कुमार को सत्ता से हटाने के लिए सिर पर साफा बांधा था। अब वह उन्हीं की सरकार में डिप्टी सीएम बनेंगे।

जेडीयू सुप्रीमो से चौधरी का टकराव नया नहीं है

बीजेपी नेता सम्राट चौधरी “प्रशासनिक खामियों” को लेकर अक्सर जेडयू सुप्रीमो नीतीश कुमार की आलोचना करते थे। वह तब भी ऐसा करते थे, जब बीजेपी बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी। चौधरी उस समय जेडीयू की नाराजगी की कीमत पर भी बीजेपी के वैचारिक स्थितियों का समर्थन करते थे और खुलकर बात रखते थे।

नीतीश के बेस वोट को तोड़ने के लिए ही अध्यक्ष बनाया गया था

प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनके प्रमोशन से बीजेपी को नीतीश के मूल “लव-कुश” (ओबीसी कुर्मी-कोइरी) वोट आधार में बंटवारा होने की उम्मीद थी। उपेन्द्र कुशवाह के जेडीयू से अलग हो जाने से बीजेपी ने पहले ही उस कोर वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा ली थी। उपेन्द्र कुशवाहा ने हाल ही में संकेत दिया है कि उनकी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन करेगी। राज्य की आबादी में कुशवाहा समाज की हिस्सेदारी करीब 6 फीसदी है।

चौधरी तारापुर के पूर्व विधायक शकुनी चौधरी के बेटे हैं, जो लंबे समय तक आरजेडी के साथ रहे थे और एक मजबूत बीजेपी विरोधी आवाज थे। 2017 में बीजेपी में शामिल होने से पहले वह खुद आरजेडी और जेडीयू दोनों का हिस्सा थे।

हालांकि चौधरी की राजनीतिक पारी जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश की बनाई समता पार्टी से शुरू हुई थी। बाद में वह आरजेडी में शामिल हो गए और मई 1999 में राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बने। उन्होंने 2000 में आरजेडी उम्मीदवार के रूप में परबत्ता (खगड़िया) से जीत हासिल की लेकिन 2014 तक वह जेडीयू में चले गए और बाद में उन्हें एमएलसी और मंत्री बनाया गया।