Death of Children due to AES: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से करीब सवा सौ (स्थानीय मीडिया) बच्चों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्याद करीब 100 बच्चों की मौत मुजफ्फरपुर में हुई है। यहां प्रतिदिन गंभीर हालत में बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती हो रहे हैं और कफन में लिपटकर वापस जा रहे हैं। स्थानीय लोगों ने इस बीमारी का नाम चमकी बुखार दिया है। चमकी से मौतों पर काबू पाने के लिए मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने ‘4जी’ का आइडिया दिया है। उन्होंने कहा, “यह देखना है कि मरने वालों की संख्या को शून्य तक कैसे लाया जाए। मुझे लगता है कि हमें 4जी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह 4जी गांव, गर्मी, गरीबी और गंदगी है। कहीं न कहीं यह बीमारी इन कारणों से भी जुड़ी हुई है।”

मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हालात का जायजा लेने मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच में पहुंचे। यहां उन्हें लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हालांकि, सोमवार को दिल्ली से लौटने के बाद नीतीश कुमार ने चमकी बुखार को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बीमारी से पीड़ितों के इलाज का खर्चा उठाने की घोषणा की। साथ ही एंबुलेंस से मुफ्त लाने व ले जाने की सुविधा उपलब्ध करवाने की भी घोषणा की।

वहीं, दो दिन पहले मुजफ्फरपुर दौरे पर पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने अत्याधुनिक बहु-विषयक अनुसंधान केंद्र बनाने के लिए तत्काल एक और उच्च स्तरीय टीम भेजने का निर्देश दिया। लगातार बच्चों की मौत के बाद सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। सोशल मीडिया पर प्लेटफॉर्म टि्वटर पर #BiharChildDeaths ट्रेंड करने लगा। इस हैशटैग के साथ सोशल मीडिया यूजर्स मार्मिक तस्वीरें, अस्पताल की लापरवाही और कुव्यवस्था तथा सरकार की विफलता को लेकर पोस्ट कर रहे हैं।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने कहा कि 14 बरस से ई लोग (नीतीश कुमार) बिहार में राज कर रहा है। हर साल बीमारी से हजारों बच्चे मरते है लेकिन बताते सैंकड़ों है। बावजूद रोकथाम का कोई उपाय नहीं, समुचित टीकाकरण नहीं। दवा और इलाज का सारा बजट ईमानदार सुशासनी घोटालों की भेंट चढ़ जाता है। बिहार का बीमार स्वास्थ्य विभाग खुद आईसीयू में है। भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर ने बच्चों की मौत पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि सरकार को इस बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए।