बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को भ्रष्टचार के आरोपों और विपक्ष के हमले के बीच पद से इस्तीफा देना पड़ा। JDU के ही सहयोगी दल BJP के दबाव में अब उनकी कुर्सी गई है। पर तब चौधरी पुलिस के खौफ से अंडरग्राउंड हो गए थे। उस वक्त इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, पर बेल मिलने तक वह फरारी काट रहे थे। दरअसल, भाजपा ने हाल में उन्हें शिक्षा विभाग सौंपने से जुड़े विवाद के ऐन बाद विरोध किया, जबकि पहले उसे एक खास बात को लेकर मन में शंका या यूं कहें डर बसा हुआ था।

भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने मंत्रिमंडल में चौधरी को पद पर बनाए रखने पर संदेह व्यक्त किया था, पर जेडीयू का कहना था कि चौधरी ने अपनी ओर से इस्तीफा दिया। चौधरी ने कहा था, “मुझ पर एक मामले में चार्जशीट दर्ज है। मैं जांच में सहयोग कर रहा हूं। मैं खुद से इस्तीफा देने का फैसला कर रहा हूं।”

BJP में सूत्रों की मानें तो, “पार्टी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री से साफ तौर पर कह दिया था कि चौधरी को पद से हटना होगा।” भाजपा के एक शीर्ष नेता ने जिक्र किया कि पार्टी ने तत्कालीन राज्य के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जो उस समय चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। साथ ही बताया कि यह ‘ओपन-शट’ केस है। इसमें और कोई चारा नहीं है।”

यह पूछे जाने पर कि BJP ने पहले क्यों नहीं आपत्ति (जेडीयू कोटे के मंत्रियों के नाम में चौधरी के नाम पर) जताई, तो नेता ने दावा किया भाजपा को शपथ ग्रहण समारोह के दिन ही नामों की सूची मिली थी। बकौल भाजपा नेता, “हमने उनसे (जेडीयू) इस बारे में इसलिए नहीं पूछा, क्योंकि बदले में हम नहीं चाहते थे कि वे सवाल करें कि हमने (बीजेपी) दो उप-मुख्यमंत्री क्यों नियुक्त किए।”

बता दें कि बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने गुरुवार को पद से इस्तीफा दे दिया। दरअसल, भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चौधरी को मंत्री बनाए जाने पर विवाद पनपा था। नीतीश कुमार कैबिनेट में एक मंत्री के तौर पर शपथ लेने के तीन दिन बाद ही उनका इस्तीफा आया है।

Nitish Kumar Cabinet, Bihar Ministers
मेवालाल चौधरी मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट से एमएलए चुने गए हैं। उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी राजद की दिव्या प्रकाश यादव को पटखनी दी है।

चौधरी को शपथ के एक दिन बाद मंगलवार को प्रभार मिला था। उन्होंने अपराह्न एक बजे प्रभार संभालने के तत्काल बाद अपना इस्तीफा भेज दिया था। चौधरी मुख्यमंत्री कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के सदस्य हैं। वह बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर में शिक्षकों और तकनीशियनों की नियुक्ति में कथित अनियमितता के पांच वर्ष पुराने एक मामले में आरोपी हैं। वह इस विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं।

राज्य में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट से निर्वाचित हुए चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल फागू चौहान ने मुख्यमंत्री कुमार की सलाह पर यह निर्णय लिया है कि शिक्षा विभाग के मंत्री मेवा लाल चौधरी तात्कालिक प्रभाव से बिहार राज्य के मंत्री तथा मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं रहेंगे।