Bihar Election 2025: बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर पटना से लेकर नई दिल्ली तक भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इन सब के बीच इलेक्शन कमीशन ने वोटर्स और सियासी दलों को बड़ी राहत दी है। चुनाव आयोग ने कहा कि किसी भी वोटर या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक एक महीने का समय मिलेगा ताकि वे किसी भी पात्र मतदाता का नाम शामिल करवा सकें।

इलेक्शन कमीशन ने बिल्कुल क्लीयर शब्दों में कहा, ‘ एसआईआर आदेश के पृष्ठ 3 पर पैरा 7(5) के अनुसार किसी भी मतदाता या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से 1 सितंबर तक एक महीने का समय मिलेगा ताकि वे किसी भी पात्र मतदाता का नाम शामिल करवा सकें, यदि उसका नाम बीएलओ/बीएलए द्वारा छोड़ दिया गया हो या यदि बीएलओ/बीएलए द्वारा गलत तरीके से नाम शामिल किया गया हो।’

आखिरकार क्या है वोटर लिस्ट रिवीजन विवाद?

अब सरल भाषा में वोटर लिस्ट रिवीजन की बात करें तो बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे ठीक पहले इलेक्शन कमीशन विशेष गहन पुनरीक्षण करा रहा है। इसकी शुरुआत 24 जून 2025 से हुई थी। इस सर्वे का मकसद वोटर लिस्ट को अपडेट करना, फर्जी वोटरों के नामों को हटाना और मृतकों के नामों को हटाना है। इलेक्शन कमीशन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि केवल पात्र भारतीय नागरिक ही वोट डाल सकें। बिहार में इस वक्त करीब 7.89 करोड़ मतदाता है और वोटर लिस्ट अपडेट होने के बाद कई नाम कट सकते हैं। इस पर लगातार विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है।

 आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को शामिल करने से चुनाव आयोग का इनकार

विपक्ष ने खड़े किए सवाल

कांग्रेस, आरजेडी, सीपीआई एमएल समेत विपक्षी दलों ने वोटर लिस्ट रिवीजन को अलोकतांत्रिक करार दिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘जब पहले से ही सब कुछ तय हो चुका है कि लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे और जब इन्हीं मतदाताओं ने पूर्व में पीएम मोदी को वोट दिया था और अतीत में सरकार का भाग्य तय किया था, तब यह सब ठीक था। हम पूछ रहे हैं कि अब अचानक SIR की जरूरत कैसे आ गई। इसका मतलब है कि सत्ता में बैठे लोग खुद कह रहे हैं कि पहले वे धोखे से सत्ता में आए थे और अब फिर से वही बात दोहराई जाएगी। जब उन्होंने बेईमानी करने का फैसला कर लिया है तो हम चुनाव बहिष्कार की बात कर सकते हैं। हमारे पास यह विकल्प है।’

राज्य को नई दिल्ली से कंट्रोल किया जा रहा – तेजस्वी यादव

तेजस्वी ने आगे कहा कि वह महागठबंधन के सभी दलों से बात करेंगे। उन्होंने कहा, ‘अगर लोकतंत्र में लोग वोट ही नहीं करेंगे तो चुनावों का क्या मतलब रह जाएगा? हमारे पास चुनावों का बहिष्कार करने का विकल्प मौजूद है। मुख्य दांव चुनाव आयोग 1 अगस्त के बाद खेलेगा जब जांच पूरी हो जाएगी।’ उन्होंने दावा किया कि राज्य को नई दिल्ली से रिमोट कंट्रोल किया जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वोटर लिस्ट रिवीजन का आदेश दे रहे हैं। वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर NDA के भीतर कंफ्यूजन