कृषि कानूनों पर किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के बातचीत के न्योते को स्वीकार जरूर कर लिया है, लेकिन उनकी मांग अभी भी पुरानी शर्तों पर ही टिकी है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 29 दिसंबर को किसान सरकार से बातचीत करने तो पहुंचेंगे, पर पहली शर्त यही है कि तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। दूसरी तरफ भाकियू के ही एक अन्य नेता गुरनाम सिंह भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि जब तक आंदोलन चलेंगे, तब तक हरियाणा को टोल फ्री किए जाएंगे।

क्या है किसान संगठनों की मांगें?: किसान संगठनों ने बातचीत से पहले ही सरकार के सामने चार शर्तें भी रखी हैं। किसानों की पहली शर्त है कि सरकार तीनों नए कृषि कानून रद्द करें। दूसरी शर्त है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी दी जाए। तीसरे शर्त में बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव की मांग है। चौथी शर्त है कि पराली कानून से किसानों को बाहर रखा जाए। इसी को दोहराते हुए किसान नेता टिकैत ने कहा कि हमारी पहली मांग कृषि कानूनों को वापस कराने की ही होगी।

एक दिन पहले ही भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी हरियाणा के बद्दोवाल व खटकड़ टोल पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने दोनों टोल पर धरने पर बैठे किसानों का हौसला बढ़ाया। दोनों टोल पर लगातार दूसरे दिन वाहनों का किसानों ने टोल फ्री करवाया। गुरनाम ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो टोल प्लाजा को आगे अनिश्चितकाल तक फ्री रखा जाएगा।

रामदेव और अंबानी के उत्पादों का बहिष्कार: इतना ही नहीं भाकियू अध्यक्ष ने अपील की कि किसान अंबानी और बाबा रामदेव के बनाए गए प्रोडक्ट का बहिष्कार करें। उनका कोई भी प्रोडक्ट ना खरीदे। यदि कोई भी भाजपा नेता गांव या धरने पर आता है तो उसका बहिष्कार किया जाए। भाजपा नेताओं को गांव में न घुसने दें। उन्होंने मांगे माने जाने तक धरना जारी रखने की बात कही।