Bharat Or India: भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन द्वारा भेजे गए जी20 रात्रिभोज निमंत्रण पर विपक्ष की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाया है। जिसमें राष्ट्रपति को ‘भारत का राष्ट्रपति’ कहा गया है। बीजेपी ने पूछा कि कांग्रेस को ‘भारत’ शब्द से कोई समस्या है क्या? असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने एक्स पर REPUBLIC OF BHARAT लिखा है और कहा है कि हमारी सभ्यता पूरी मजबूती से अमृत काल की ओर बढ़ रही है।
साल 2015 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश को इंडिया के बजाय भारत नहीं कहा जाना चाहिए। यह जवाब एक जनहित याचिका को लेकर दिया गया था। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए गणतंत्र को भारत कहा जाने की मांग की गई थी।
नरेंद्र मोदी सरकार ने दावा किया था कि “अनुच्छेद 1 में किसी भी बदलाव पर विचार करने के लिए परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।” भारत का संविधान अनुच्छेद 1.1 आधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए देश का नाम कैसे रखा जाए, इस पर संविधान का एकमात्र प्रावधान – कहता है, “इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।”
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोर्ट को बताया था कि जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था और अनुच्छेद 1 में क्लाजेज् को सर्वसम्मति से अपनाया गया था, तब संविधान सभा द्वारा देश के नाम से संबंधित मुद्दों पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया था। उसमें यह भी बताया कि संविधान के मूल मसौदे में भारत का जिक्र नहीं था और बहस के दौरान संविधान सभा ने भारत, भारतभूमि, भारतवर्ष, इंडिया दैट इज़ भारत और भारत दैट इज़ इंडिया जैसे नामों और फॉर्मूलेशन पर विचार किया। इसमें कहा गया है कि संविधान सभा में समीक्षा की आवश्यकता के मुद्दे पर बहस के बाद से परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि जनहित याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन भटवाल के वकील अजय जी मजीठिया के एक प्रतिनिधित्व की जांच की गई थी और इसे खारिज करने की सिफारिश की गई थी। मजीठिया ने तर्क दिया था कि अनुच्छेद 1.1 की व्याख्या संविधान सभा की मंशा को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए,जो देश का नाम भारत रखना चाहती थी।
याचिका में कहा गया था कि इंडिया नाम औपनिवेशिक काल के दौरान गढ़ा गया था और देश को ऐतिहासिक और धर्मग्रंथों में भारत कहा जाता है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया, “भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 को निरस्त करने के लिए संदर्भ के लिए अनुच्छेद 1 में भारत का उपयोग किया गया था।”
ऐसी एक और जनहित याचिका 2020 में कोर्ट के सामने आई थी, लेकिन भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कर सकता और याचिकाकर्ता को सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए कहा था।