भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) से ब्रेक के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, दलित दिग्गज जगजीवन राम और पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित दिल्ली में कई नेताओं के स्मारकों पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के स्मारक सदाव अटल पर भी राहुल गए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पांच संभावित कारण क्योंकि राहुल खुद को भाजपा और आरएसएस के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होने वाले बताते हैं, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी उनके लिए अपवाद हैं-
1. जोड़ो-जोड़ो, भारत जोड़ो
राहुल गांधी के नेतृत्व में की जा रही भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य (जो पार्टी द्वारा बताया गया) भारत को एकजुट करना, एक साथ आना और हमारे राष्ट्र को मजबूत करना है। पार्टी ने कहा कि वाजपेयी स्मारक (Vajpayee memorial) पर जाना इसी भावना के अनुरूप है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा यह दर्शाती है कि राजनीति बड़े दिल से की जाती है। राहुल जोर देकर कहते हैं कि इस यात्रा ने ‘भाजपा द्वारा पोषित’ घृणा के बाजार में लाखों ‘मोहब्बत की दुकान’ खोल दी है।
2. क्या राहुल गांधी अपना रुख नरम कर रहे हैं?
कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी ने खुद को एक हार्डलाइन नेता के रूप में रखा है और अपने मूल वैचारिक विश्वासों के लिए कोई रियायत नहीं दी है। उदाहरण के लिए नेताओं के पार्टी छोड़ने और भाजपा में जाने पर राहुल गांधी ने कहा है कि उन्हें उन लोगों से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है जो भाजपा और आरएसएस को बाहर दिखाए जाने से डरते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी सख्त रुख को नरम करने की कोशिश कर रही है और राहुल गांधी ने भी इस बदलाव का संकेत दिया है। बता दें कि सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी के समाधि स्थल पर राहुल गांधी पहुंचे थे।
3. Congress के आधार को बढ़ाना
2014 और 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 19 प्रतिशत से थोड़ा अधिक रहा। पार्टी के भीतर भी लोग मानते हैं कि वोट शेयर को आठ से 10 प्रतिशत तक बढ़ाना है। साथ ही उन लोगों को दूर करने की जरूरत है, जिन्होंने यूपीए के अंतिम वर्षों के दौरान भाजपा का समर्थन करना शुरू कर दिया था। यह कांग्रेस में मौन मान्यता भी है कि सभी भाजपा मतदाता बीजेपी या पीएम मोदी (PM Modi) के अंध समर्थक नहीं हैं, जैसा कि राहुल गांधी ने खुद पहले कहा है।
4. ‘हिंदुत्व ब्रांड’ मोदी बनाम ‘उदारवादी’ वाजपेयी
आरएसएस (RSS) से आने के बावजूद कवि-प्रधानमंत्री की अपनी छवि वाले अटल बिहारी वाजपेयी राजनेताओं की एक पुरानी पीढ़ी के थे दरअसल गठबंधन सरकार चलाने के दबाव ने वाजपेयी के पास नरमी से चलने के अलावा कुछ ही विकल्प छोड़े थे। 1998-2004 के बीच जब भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए (BJP-led NDA) सत्ता में थी, कई मौकों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तल्खी भी हुई। 2003 में संसद को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने सोनिया की अगुआई वाली कांग्रेस को एनडीए सरकार को अक्षम, असंवेदनशील, गैर जिम्मेदार और बेशर्म भ्रष्ट कहने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
5. पुराना जुड़ाव
अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद एक टेलीविजन इंटरव्यू में अमेरिका में इलाज कराने में मदद करने में राजीव गांधी की भूमिका की प्रशंसा की थी। वहीं लंबी बीमारी के बाद 2018 में अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद अपने शोक संदेश में सोनिया गांधी ने उन्हें एक ‘महान व्यक्ति’ के रूप में वर्णित किया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खड़े थे।