Bengal Teacher Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले (School Jobs Scam) में ईडी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की युवा प्रदेश अध्यक्ष सायोनी घोष से शुक्रवार को 11 घंटे पूछताछ की। वह देर रात 12 बजे ईडी ऑफिस से बाहर निकली। ईडी ने स्कूल नौकरी घोटाले में कथित अनियमितताओं की चल रही जांच के संबंध में पूछताछ के लिए बुधवार को घोष को समन जारी किया था।

ईडी कार्यालय से बाहर आने बाद सयोनी ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ सहयोग किया और आगे भी करती रहेंगी। TMC नेता सयोनी ने कहा कि मैंने कुछ दस्तावेज जमा कर दिए हैं। मुझे लगता है कि ईडी के अधिकारी संतुष्ट हैं। अगर वे मुझको बुलाएंगे तो मैं फिर से जाऊंगी। सयोनी ने कहा कि मैं यह नहीं बता सकती कि उन्होंने मुझसे क्या सवाल पूछे।

ईडी के सूत्रों ने कहा कि घोष से मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ उनके संबंधों और उनकी संपत्तियों के विवरण, फ्लैट खरीदते समय लेनदेन, आईटी रिटर्न, बैंक खाते के विवरण और निवेश के बारे में पूछताछ की गई। सूत्रों ने कहा कि इसकी जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ के दौरान घोष का नाम कई बार सामने आया।

अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर चुकी है ईडी

इससे पहले ईडी ने 8 जून को शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को 13 जून को पेश होने के लिए समन जारी किया था। बता दें, पश्चिम बंगाल के स्कूलों में करोड़ों रुपये के भर्ती घोटाले में ईडी ने बनर्जी से नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।

शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी पर साधा निशाना

इस बीच टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने शुक्रवार भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का यूज करके विपक्ष को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हैं और कुछ एजेंसियां हैं। ये सही काम नहीं कर रही हैं। वे कई लोगों, खासकर विपक्ष को परेशान करने की कोशिश कर रही हैं। बीजेपी पर हमलावर होते हुए सिन्हा ने कहा कि यह सत्ता से बाहर होने से पहले बदला लेने की कोशिश है। जैसे दीपक बुझने से काफी फड़फड़ाता है। वही हालत बीजेपी की है।

2014 में हुआ था घोटाला

पश्चिम बंगाल में हुआ यह घोटाला साल 2014 का है। तब राज्य में स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली। 2016 में यह प्रक्रिया पूरी हुई थी। पार्थ चटर्जी उस वक्त शिक्षा मंत्री थे। इस मामले में कई गड़बड़ियां हुईं थी। जिसके बाद यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट पहुंचा था। अपीलकर्ताओं का आरोप था कि जिन अभ्यर्थियों के नंबर कम थे, उन्हें मेरिट लिस्ट में टॉप पर रखा गया। कुछ अभ्यर्थियों का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई। ऐसे लोगों को भी नौकरी दी गई, जिन्होंने TET एग्जाम भी पास नहीं किया था।